उत्तर प्रदेश की 38 सीट पर सपा के चेहरे तय, जल्द करेंगे अखिलेश नामो का ऐलान
लखनऊ। सपा नेलगभग 38 लोकसभा सीट पर कैंडिडेट फाइनल कर लिए हैं। अगस्त के आखिर तक अखिलेश यादव इन नामों का ऐलान कर सकते हैं। कैंडिडेट सिलेक्शन के लिए अखिलेश यादव पूर्वांचल से लेकर पश्चिम के जिलों में दौरे कर रहे हैं।
इन सीटों की फेहरिस्त में कन्नौज, मैनपुरी, आजमगढ़, बदायूं, फिरोजाबाद जैसी सीटों पर पार्टी के चेहरे तय हो चुके हैं, सिर्फ ऐलान होना है।
सपा के सूत्रों का कहना हैं कि अखिलेश खुद ही टिकट जल्दी फाइनल करना चाहते हैं। इसके पीछे का कारण, अब लोकसभा चुनाव में 8 महीने से कम समय होना है। अखिलेश पार्टी के मुख्य कर्ताधर्ता हैं। चुनाव के दौरान समय देना मुश्किल होगा। परिवार के टिकट वो खुद ही फाइनल कर रहे हैं।
लोकसभा सीट प्रभारी घोषित होने के साथ ही, जाति, क्षेत्र और जिताऊ उम्मीदवार की तलाश हो रही है। ये तो तय है कि लोकसभा की मैनपुरी, कन्नौज, आजमगढ़ और फिरोजाबाद सीट मुलायम परिवार के बीच ही रहेंगी। ऐसे में बदायूं सीट को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं है। बदायूं से धर्मेंद्र यादव सांसद रह चुके हैं, पर वर्तमान में यहां से सपा के फायर ब्रांड नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा सांसद हैं। संघमित्रा भाजपा के टिकट पर जीती थीं।

सूत्रों के मुताबिक, मध्य क्षेत्र से विधायक रविदास मल्होत्रा को लखनऊ से लड़वाया जा सकता है। कन्नौज, मैनपुरी, फिरोजाबाद, आजमगढ़, बदायूं और जौनपुर की सीट पर धर्मेंद्र यादव, अक्षय यादव, तेज प्रताप यादव, अखिलेश यादव, शिवपाल यादव, डिंपल यादव चुनाव लड़ेंगे। किस सीट पर कौन लड़ेगा? इसको लेकर अभी मंथन जारी है।
राम प्रसाद चौधरी को सपा बस्ती से लड़ा सकती है। मिल्कीपुर से विधायक अवधेश प्रसाद को अयोध्या से पार्टी चुनाव मैदान में उतार सकती है। ओम प्रकाश सिंह को गाजीपुर, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल फतेहपुर, विधायक मनोज पांडेय रायबरेली, प्रतापगढ़ से एसपी सिंह या डॉ. आरके पटेल चुनाव लड़ सकते हैं।
चित्रकूट की सीट पर शिव शंकर पटेल को सपा उम्मीदवार बना सकती है। जबकि, मुजफ्फरनगर सीट पर हरेंद्र मलिक चुनाव लड़ सकते हैं। वहीं बलिया से सनातन पांडेय चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, एक पूर्व क्रिकेटर को भी सपा इस बार पूर्वांचल से लोकसभा का टिकट दे सकती है। जबकि प्रयागराज की सीट पर पार्टी से जुड़ी फिल्म जगत के जाने-माने चेहरे को उतारने की तैयारी है।
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद अखिलेश यादव को परिवार के गढ़ कहे जाने वाली सीट मैनपुरी को जीतने पर पूरा फोकस रहेगा। साथ ही, डिंपल यादव की सीट आम चुनाव में जीतने के लिए पूरी ताकत लगानी पड़ेगी। क्योंकि BJP उपचुनाव में ही उम्मीदवार उतारकर सीट हथियाने का पूरा प्रयास किया था।

2024 के मिशन में जुटी बीजेपी 80 लोकसभा जीतने का दावा कर रही है। बीजेपी यह मानती हैं कि वोटों की बिखराव की वजह से उत्तर प्रदेश में इस बार सभी सीटें जीतने का मौका है। बीजेपी के दावों और मेहनत को देखते हुए अखिलेश यादव खुद मैनपुरी, कन्नौज जैसे लोकसभा सीट पर लगातार दौरा कर रहे हैं।
फिलहाल बीजेपी के आंकड़े बताते हैं कि मौजूदा हालात में सपा के गढ़ माने जाने वाले क्षेत्रों में भी उनकी पकड़ अब पहले से ज्यादा मजबूत हो चुकी है। दूसरी तरफ, सपा की कोशिश 2004 के लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को दोहराना है, उस वक्त सपा ने 37 लोकसभा सीट जीतीं थीं।
बसपा के साथ 2019 के लोकसभा चुनाव लड़ने के बावजूद पूर्वांचल की सीटों में अखिलेश यादव आजमगढ़ लोकसभा की सीट जीते थे। इसके अलावा अन्य सभी पूर्वांचल की सीटों पर समाजवादी पार्टी और बसपा के उम्मीदवार मिलकर खास प्रदर्शन नहीं कर पाए थे। पूर्वांचल की छह सीट, अंबेडकनगर, गाजीपुर, घोषी, जौनपुर, लालगंज और श्रावस्ती बसपा ने जीती थीं।
वहीं, सपा के हिस्से सिर्फ आजमगढ़ आई, जहां से पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव जीते। अखिलेश यादव के विधायक चुने जाने के बाद आजमगढ़ में हुए उपचुनाव में सपा ने पूर्वांचल की एकमात्र सीट भी खो दी। अब पार्टी का प्रयास है कि वह पूर्वांचल में शून्य के आंकड़े से बाहर आ जाए। इसीलिए बलिया, चंदौली, वाराणसी, आजमगढ़, मऊ, बस्ती, गोरखपुर, देवरिया, सिद्धार्थनगर, महराजगंज और बस्ती समेत सभी जिलों में कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर लगाने की तैयारी है।