Sunday, October 5, 2025
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संजय गांधी पीजीआई के १५ प्रोफेसर शामिल हुए स्टैनफोर्ड की विश्व के शीर्ष २ प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची में

लखनऊ।संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआई) ने एक बार फिर वैश्विक मंच पर अपनी श्रेष्ठता साबित की है। कैलिफ़ोर्निया (अमेरिका) स्थित स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा २० सितम्बर २०२५ को जारी की गई दुनिया के शीर्ष २ प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची में पीजीआई के १५ प्रोफेसरों ने स्थान हासिल किया है। यह सूची करियर डेटा और वर्ष २०२४ में किए गए शोध कार्यों के आकलन पर आधारित है और इसमें विश्वभर के विभिन्न क्षेत्रों के शोधकर्ताओं को शामिल किया गया है।
इन चिकित्सकों ने संस्थान का गौरव बढ़ाया, संजय गांधी पीजीआई के डायरेक्टर और हेपटोलॉजी विभाग के प्रोफेसर राधा के धीमन, मेडिकल जेनेटिक्स के सेवानिवृत्त प्रोफेसर बलराज मित्तल, यूरोलॉजी के सेवानिवृत्त प्रोफेसर रमा देवी मित्तल, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राकेश अग्रवाल, क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अमिता अग्रवाल , गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर उदय चंद्र घोषाल, न्यूरोलॉजी की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर जयंती कालिता, एंडोक्राइन एंड ब्रेस्ट सर्जरी के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर गौरव अग्रवाल, पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर उज्जल पोद्दार, और प्रोफेसर अंशु श्रीवास्तव, नेप्रâोलॉजी के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नारायण प्रसाद, क्रिटिकल केयर मेडिसिन के प्रोफेसर मोहन गुर्जर, बायोस्टैटिस्टिक्स एंड हेल्थ इंफॉर्मेटिक्स के एडिशनल प्रोफेसर डॉ प्रभाकर मिश्रा, क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी के एडीशनल प्रोफेसर डॉ दुर्गा प्रसन्ना मिश्रा और एंडोक्रिनोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर प्रोफेसर डॉ रोहित सिन्हा। पीजीआई निदेशक बोले संस्थान के लिए गर्व का अवसर संयुक्त राष्ट्र अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा जारी की गयी विश्व के शीर्ष २प्रतिशतवैज्ञानिकों की सूची में पीजीआई के १५ प्रोफेसर्स के नाम आने पर संस्थान के निदेशक प्रोफेसर राधा के धीमन बेहद खुश दिखे, उन्होंने समस्त चयनित प्रोफेसर्स के साथ-साथ संस्थान को भी इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है. प्रोफेसर धीमान जो खुद भी इन दो पर्सेंट चयनित प्रोफेसर्स में शामिल है, ने कहा कि संजय गांधी पीजीआई उत्कृष्ट चिकित्सा प्रदान करने के लिए देश, प्रदेश में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में प्रख्यात है। आज संस्थान के प्रोफेसर्स ने शोध में भी लगातार नया आयाम और पहचान बनाई है। संस्थान के चिकिसको द्वारा जिस तरह से काफी संख्या में गुणवत्तापूर्ण शोध पत्र प्रकाशित किए जा रहे है, एक डायरेक्टर के रुपए में मेरे लिए काफी संतोष की बात है हालाँकि हमें लगातार इससे भी बेहतर करने का प्रयास करना होगा। उम्मीद करता हूं कि संस्थान के इन प्रोफेसर्स से दूसरे अन्य युवा प्रोफेसर और छात्र भी प्रेरणा लेंगे और भविष्य में हम इससे भी बेहतर करेंगे.

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