Thursday, October 16, 2025
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बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ लखनऊ में दंपत्ति के उपचार के बाद 11 साल का इंतज़ार हुआ पूरा, बने माता-पिता

लखनऊ। नियमित पीरियड्स केवल रीप्रोडक्टिव स्वास्थ्य का संकेत नहीं है, बल्कि प्राकृतिक गर्भधारण की नीव भी है। लखनऊ की 32 वर्षीय महिला के लिए यह सामान्य प्रक्रिया कभी शुरू ही नहीं हुई। प्राइमरी अमीनोरिया, जो कि हाइपोगोनाडोट्रोपिक हाइपोगोनाडिज्म नमक एक कंडीशन के कारण हुआ, हाईपरटेंशन और कम ओवेरियन रिज़र्व होने के कारण वह दस साल से अधिक समय तक माँ बनने का सपना पूरा नहीं कर पाई थीं। 11 साल तक कई असफल उपचारों के बाद, जिसमें एक आईवीएफ साइकिल में कोई डोमिनेंट फॉलिकल नहीं बन पाया, यह दंपत्ति आखिरी में एक उम्मीद के साथ बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ लखनऊ पहुंचे। तब डॉ. श्रेया गुप्ता, सेंटर हेड और कंसल्टेंट, बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ लखनऊ, ने उनके मामले में एक नई रणनीति अपनाई। “यह रीप्रोडक्टिव स्वास्थ्य के सबसे जटिल मामलों में से एक था,” डॉ. गुप्ता ने कहा। “हम बेहद कम ओवेरियन रिज़र्व के साथ काम कर रहे थे, जिसका मतलब था कि हर एग महत्वपूर्ण था। इसमें दृढ़ता, सावधानी और हर चरण में पेशेंट को इमोशनल सपोर्ट की ज़रूरत थी। ऐसे मामलों में फर्टिलिटी केयर साइंस और विश्वास का मेल है।” टीम ने एक पर्सनलाइज्ड प्लान बनाया। ओवेरियन बाधा से निपटना के लिए एक मॉडिफाइड स्टिम्युलेशन प्रोटोकॉल का इस्तेमाल किया गया, जिससे तीन ऊसाईट प्राप्त हुए और दो स्वस्थ डे-3 एम्ब्रियो विकसित हुए। यूटरस का वातावरण बहतर करने के लिए ट्रांसफर से पहले हिस्ट्रोस्कोपिक यूटराइन कैविटी एन्हांसमेंट किया गया। सावधानीपूर्वक तैयार फ्रोज़न साइकिल में एम्ब्रियो पहली ही कोशिश में सफलतापूर्वक इम्प्लांट हो गए। इसके बाद नियमित केयर से प्रेगनेंसी स्वस्थ बनी रही और दंपत्ति का माता पिता बनने का लम्बा सपना अंततः पूरा हुआ। यह मामला साबित करता है कि ऐसी कठिन परिस्थितियों में भी एडवांस्ड साइंस और पूर्ण केयर के साथ सफलता प्राप्त की जा सकती है। डॉ. गुप्ता ने कहाः “यह मामला हमें याद दिलाता है कि कठिन स्थिति और कम ओवेरियन रिज़र्व के केस में भी सही प्लानिंग, सटीकता और इमोशनल सपोर्ट से संभावनाओं को वास्तविकता में बदला जा सकता है।“

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