Thursday, October 16, 2025
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सर्पदंश से बचाव के लिए जागरूकता जरूरी: राहत आयुक्त कार्यालय में युवा आपदा मित्रों की कार्यशाला आयोजित

लखनऊ, 15 अक्टूबर 2025। राहत आयुक्त कार्यालय द्वारा बुधवार को योजना भवन के वैचारिकी सभागार में सर्पदंश न्यूनीकरण कार्यक्रम के तहत युवा आपदा मित्रों के लिए नाॅन-क्लीनिकल कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में 25 जनपदों के 100 युवा आपदा मित्रों को सर्पदंश से बचाव, प्राथमिक उपचार और पीड़ित को समय पर अस्पताल पहुंचाने के विषय में प्रशिक्षण दिया गया।
कार्यशाला के मुख्य अतिथि श्री रणवीर प्रसाद ने कहा कि आपदा मित्रों को साहसी बनकर विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि सर्पदंश पीड़ित व्यक्ति को उपचार से पहले सहानुभूति और भरोसे की आवश्यकता होती है, जिससे उसका मनोबल बढ़ता है। श्री प्रसाद ने कहा कि सांप काटे तो घबराएं नहीं, पीड़ित को तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाएं और समय पर इलाज सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि घरों और आस-पास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखना चाहिए ताकि सांपों के आने की संभावना कम रहे।

राहत आयुक्त श्री भानु चन्द्र गोस्वामी ने कहा कि ग्रामीण समाज में प्रचलित झाड़-फूंक और तांत्रिक उपायों के भ्रम को दूर कर लोगों को चिकित्सकीय उपचार की ओर प्रेरित करना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर एंटी स्नेक वेनम की रियल टाइम मॉनिटरिंग राहत आयुक्त कार्यालय के स्नेक बाइट मिटिगेशन पोर्टल पर की जा रही है। हेल्पलाइन नंबर 1070 पर नजदीकी अस्पताल और एंटी स्नेक वेनम की उपलब्धता की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के स्नेक बाइट प्रोग्राम के नोडल अधिकारी डॉ. पंकज सक्सेना ने प्रतिभागियों को बताया कि उत्तर प्रदेश में 38 प्रजाति के सांप पाए जाते हैं, जिनमें से 18 विषैले हैं। उन्होंने कहा कि सर्पदंश के बाद घबराहट के कारण कई बार लोग हार्ट अटैक से मृत्यु के शिकार हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि झाड़-फूंक या तांत्रिक के बहकावे में न आएं और जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचें।
डॉ. विपिन वर्मा ने बताया कि कोबरा, करैत, रसेल्स वाइपर और सॉ-स्केल वाइपर सबसे जहरीले सांप हैं। उन्होंने कहा कि करैत आमतौर पर रात में सक्रिय रहते हैं जबकि कोबरा और वाइपर दिन या शाम के समय खेतों में काम करने वाले लोगों को काटते हैं।
डॉ. निशांत भारद्वाज ने बताया कि सर्पदंश होने पर व्यक्ति को शांत रखें, प्रभावित अंग को हृदय से नीचे रखें और कसने वाली वस्तुएं हटा दें। उन्होंने बताया कि सांस लेने में कठिनाई होने पर पीड़ित को बाईं करवट लेटाना चाहिए।
कार्यशाला में किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. शैफाली गौतम और डॉ. नीलकमल मिश्रा ने प्रतिभागियों को सीपीआर और एम्बूबैग से ऑक्सीजन देने की प्रक्रिया का प्रशिक्षण दिया। डॉ. विकास यादव ने सांप काटने पर प्राथमिक उपचार की जानकारी दी।
कार्यशाला में अमरोहा, बागपत, बहराइच, बलरामपुर, बरेली, बुलंदशहर, देवरिया, गाजियाबाद, गाजीपुर, कुशीनगर, लखीमपुरखीरी, लखनऊ, महराजगंज, महोबा, मेरठ, मुरादाबाद, प्रयागराज, रामपुर, सहारनपुर, संतकबीरनगर, शामली, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, सोनभद्र तथा वाराणसी के युवा आपदा मित्रों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन सर्पदंश न्यूनीकरण परियोजना की राज्य सलाहकार सुश्री काव्या शर्मा ने किया और धन्यवाद ज्ञापन भी दिया।

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