लखनऊ, 7 नवम्बर 2025।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU), लखनऊ के न्यूरोसर्जरी विभाग ने अपने 31वें स्थापना दिवस का भव्य आयोजन किया। इस अवसर पर विभाग ने न्यूरोसर्जरी के क्षेत्र में 64 वर्षों की निरंतर उत्कृष्टता, शोध और रोगी सेवा के गौरवशाली सफर का उत्सव मनाया।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद रहीं, जिनकी उपस्थिति ने समारोह को विशिष्ट गरिमा प्रदान की। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. के.के. सिंह, डीन, पैरामेडिकल साइंसेज ने की। उन्होंने विभाग द्वारा शिक्षा, अनुसंधान और उन्नत रोगी देखभाल के क्षेत्र में किए जा रहे उत्कृष्ट कार्यों की सराहना की।
समारोह का मुख्य आकर्षण वार्षिक विभागीय रिपोर्ट रही, जिसे विभागाध्यक्ष प्रो. बी.के. ओझा ने प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि न्यूरोसर्जरी विभाग हर वर्ष 30,000 बाह्य रोगियों (OPD) की चिकित्सा करता है, लगभग 3,500 मरीजों को भर्ती करता है, और करीब 3,000 न्यूरोसर्जिकल ऑपरेशन सफलतापूर्वक करता है। यह आंकड़े विभाग की उत्कृष्टता और जनसेवा की व्यापकता को दर्शाते हैं।

प्रो. ओझा ने इस अवसर पर यह भी घोषणा की कि विभाग में जल्द ही एक आधुनिक “हाइब्रिड ऑपरेशन थिएटर (Hybrid OT)” स्थापित किया जाएगा। इस अत्याधुनिक सुविधा के माध्यम से ब्रेन एनेयुरिज्म, स्ट्रोक और आर्टेरियो-वेनस मालफॉर्मेशन (AVM) जैसे जटिल मामलों का सर्जिकल और एंडोवैस्कुलर उपचार एक ही छत के नीचे संभव हो सकेगा।
इस अवसर पर आयोजित प्रतिष्ठित “डेव न्यूटन मेमोरियल ऑरेशन” में प्रसिद्ध न्यूरोसर्जन प्रो. संजय बिहारी ने “बायोमेडिकल डिवाइस डेवलपमेंट” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने अपने संबोधन में तकनीक, नवाचार और शल्य-कौशल के सम्मिलन से आधुनिक न्यूरोसर्जरी के भविष्य पर प्रकाश डाला।

स्थापना दिवस के अंतर्गत आयोजित सीएमई (CME) सत्र का विषय था – “एंडोवैस्कुलर प्रोसीजर्स”। इस सत्र में देश के प्रमुख विशेषज्ञ – डॉ. गिरीश राजपाल (मेदांता, नोएडा), डॉ. विकास झा (एचओडी, न्यूरोसर्जरी, एम्स पटना) और डॉ. दीपक के. सिंह (एचओडी, आरएमएल, लखनऊ) ने अपने अनुभव साझा किए।
सीएमई में मेंटिस एंडोवैस्कुलर सिमुलेशन डिवाइस के माध्यम से प्रतिभागियों को एंडोवैस्कुलर इंटरवेंशन तकनीकों का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया, जिससे चिकित्सकों को वास्तविक परिस्थितियों जैसी परिस्थितियों में अभ्यास करने का अवसर मिला।

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के विभिन्न शहरों — लखनऊ, वाराणसी, गाज़ियाबाद, प्रयागराज और आज़मगढ़ — से आए न्यूरोसर्जन और शिक्षाविदों ने इस शैक्षणिक सम्मेलन में उत्साहपूर्वक भाग लिया।
कार्यक्रम की एक अनूठी प्रस्तुति रही “अलुमनाई सीएमई सेशन – बियॉन्ड द स्कैल्पेल”, जिसमें पूर्व छात्र और विशेषज्ञ चिकित्सकों ने अपने व्यावहारिक अनुभव, मार्गदर्शन और न्यूरोसर्जरी के बदलते स्वरूप पर विचार साझा किए।
कार्यक्रम में एक रचनात्मक और प्रेरक क्षण तब आया जब डॉ. प्रकाश खेतान (इलाहाबाद) ने “न्यूरोसर्जिकल पोएट्री रेसिटेशन” प्रस्तुत किया — जहाँ विज्ञान और कला का अद्भुत संगम देखने को मिला। श्रोताओं ने इस प्रस्तुति की सराहना करते हुए इसे “विज्ञान में संवेदना का सुंदर स्पर्श” कहा।
समारोह का समापन डॉ. अंकुर बजाज के मत्स्य भावनापूर्ण धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने सभी गणमान्य अतिथियों, अतिथि वक्ताओं, पूर्व छात्रों, फैकल्टी, रेज़िडेंट्स, मीडिया प्रतिनिधियों और आयोजन समिति का आभार व्यक्त किया।
उनके समापन संबोधन में एकता, शैक्षणिक समर्पण और विभागीय गर्व की भावना झलक रही थी, जिसने इस अवसर को और भी यादगार बना दिया।
यह आयोजन केजीएमयू के न्यूरोसर्जरी विभाग के नवाचार, सहयोग और उत्कृष्टता की निरंतर परंपरा का प्रतीक बना — एक ऐसा मील का पत्थर जिसने यह सिद्ध कर दिया कि “ज्ञान, करुणा और तकनीक का संगम ही चिकित्सा की सच्ची शक्ति है।”

