लखनऊ।भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा संचालित भारतीय औषधि सतर्कता कार्यक्रम (झ्न्न्झ्घ्) के तहत रोगियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए देशभर में प्रतिकूल औषधि प्रतिक्रियाओं (ADRे) की निगरानी की जा रही है। प्रतिकूल प्रतिक्रियाएँ वे अनपेक्षित या हानिकारक प्रभाव हैं जो किसी दवा के उपयोग के बाद हो सकते हैं।
इस दिशा में एसजीपीजीआईएमएस, लखनऊ में २३ सितंबर २०२५ को एक जागरूकता संगोष्ठी आयोजित की गई। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य पेशेवरों, नर्सिंग कर्मियों और रोगियों के परिचारकों को ADR रिपोर्टिंग में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करना था। यह कार्यक्रम पाँचवें राष्ट्रीय औषधि सतर्कता सप्ताह (१७-२३ सितंबर २०२५) के समापन के अवसर पर आयोजित किया गया।
संगोष्ठी में प्रमुख वक्ताओं ने डिजिटल और कागज़-आधारित रिपोर्टिंग प्लेटफ़ॉर्म, गंभीर और अप्रत्याशित ADR मामलों की पहचान, अभिलेख एवं समय पर रिपोर्टिंग के महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ. अजय प्रकाश, डॉ. सुयोग सिंधु और प्रो. आर. हर्षवर्धन ने चिकित्सकों और नर्सों को ADR रिपोर्टिंग को नैदानिक दायित्व और रोगी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम बताया।
उद्दघाटन सत्र में प्रो. आर. के. धीमान, निदेशक, एसजीपीजीआईएमएस ने कहा कि औषधि सतर्कता केवल रोगी सुरक्षा सुनिश्चित करने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य संस्थानों में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व स्थापित करने का भी आधार है। संगोष्ठी में केस स्टडी, पैनल चर्चा, नाटक और वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित कर प्रतिभागियों को सक्रिय रूप से शामिल किया गया।
इस पहल से प्रतिकूल औषधि प्रतिक्रियाओं की प्रभावी निगरानी, राष्ट्रीय और वैश्विक औषधि सुरक्षा नेटवर्क में योगदान और रोगियों की सुरक्षा में सुधार सुनिश्चित किया जाएगा।संपूर्ण आयोजन का संचालन और मार्गदर्शन अस्पताल प्रशासन विभाग, एसजीपीजीआईएमएस के सहयोग एवं एएमसी समन्वयकों द्वारा किया गया।