लखनऊ। हजरत ख्वाजा मोहम्मद नबी रज़ा शाह अलमारूफ दादा मियाँ र.अ. के ११८वें सालाना उर्स का आगाज़ सोमवार से निहायत शानो-शौकत के साथ हो गया। दादामियाँ की दरगाह की खासियत यह है कि यहाँ हर मजहब और हर कौम के लोग बड़ी तादाद में पहुँचकर अपनी अकीदत पेश करते हैं और दादामियाँ के फैज़ से मालामाल होते हैं।दरगाह दादा मिया के सज्जादानशीन व मुतावल्ली हजरत ख्वाजा मोहम्मद सबाहत हसन शाह ने आज आयोजित एक प्रेस कांप्रâेंस में बताया कि दादा मियाँ र.अ. ने अपनी छोटी सी उम्र में अपने अख़लाक और किरदार से ऐसी मिसाल पेश की कि उनकी रौशनी में हज़ारों लोगों ने अपनी मंज़िल पाई और ज़िन्दगी का मक़सद हासिल किया। आपका सिलसिला ‘सिलसिला-ए-जहाँगीरिया’ है जो कादिरिया, चिश्तिया, सोहरवर्दिया, फिरदौसिया, नक्शबंदिया और अबुलउलाईया सिलसिलों का मजमूआ है।

उन्हों ने बताया कि हर साल की तरह इस बार भी पाँच रोज़ा उर्स १५ से १९ सितंबर २०२५ तक आस्ताना दादामियों, मॉल एवेन्यू, लखनऊ में आयोजित हो रहा है। कार्यक्रमों में ज़िक्र, कुरआन ख्वानी, मीलाद शरीफ़, तरही मुशायरा, चादरपोशी, हल्का-ए-ज़िक्र, महफ़िले समा, आलमी सेमिनार, रंगीन महफ़िल, गुस्ल व संदल शरीफ़ शामिल होंगे। लाखों अकीदतमंद मुल्कभर से शिरकत करने के लिए पहुँच रहे हैं।

उर्स के मौके पर १७ सितंबर, बुधवार को ११वां आलमी सेमिनार आयोजित होगा, जिसका विषय ‘अदाब-ए-तरीक़त और शाह-ए-रज़ा’ रहेगा। इस मौके पर देशभर से नामवर उलमा और स्कॉलर्स शिरकत करेंगे। जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली से डॉ. वाहिद नज़ीर और लखनऊ समेत आसपास के उलमा भी मौजूद रहेंगे। सेमिनार में दादामियाँ की तालीम और उनके बताए रास्ते पर चलने का पैग़ाम दिया जाएगा।
उन्हों ने बताया कि मौजूदा दौर में फिरका परस्ती और नाइत्तेफाकी को दूर करने के लिए खानकाही रवादारी को अपनाना वक्त की जरूरत है। उन्हों ने जिला प्रशासन की तारीफ करते हुए कहा कि जिला महकमा इन्तेजामिया ने इस बार भी माकूल इन्तेतजाम किये हैं। बल्कि पिछले साल से बेतहर इनोजामाल किये गये हैं।उन्हों ने इसके लिए जिला प्रशासन का आभार जताया।प्रेस कांप्रâेंस दरगाह फरहत मियां भी मौजूद थे।

