Thursday, November 21, 2024
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‘‘बटेंगे तो कटेंगे‘‘,‘‘जुड़ेंगे तो जीतेंगे‘‘कहने वाली पार्टियों से ‘‘दूर रहेंगे तो बचे रहेंगे‘‘-मायावती

लखनऊ, 2 नवम्बर 2024, : बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद सुश्री मायावती ने आज यहाँ मीडिया को सम्बोधित करते कहा कि: मीडिया बन्धुओं, जबसे उत्तर प्रदेश में नौ विधानसभा की सीटों पर उपचुनाव घोषित हुये हैं और इस बार इन सभी विधानसभा की सीटों पर बी.एस.पी. भी अकेले यह चुनाव लड़ रही है, तो तबसे बीजेपी व सपा गठबन्धन की नीन्द उड़ी हुई है, क्योंकि बी.एस.पी ने यहाँ काफी समय से एक आदि उपचुनाव को छोड़कर अधिकतर उपचुनाव नहीं लड़े हैं तबसे खासकर ये दोनों पार्टियाँ यानि की बीजेपी व सपा तथा इनका गठबन्धन अभी तक इन चुनावों में अन्दर-अन्दर आपस में मिल-बाँट कर ये चुनाव लड़ते रहे हैं, लेकिन इस बार हो रहे उपचुनाव में जब बी.एस.पी. भी मैदान में डटी हुई है तो अब इन दोनों पार्टियों व इनके गठबन्धन की काफी परेशानियाँ बढ़ गई है, जिससे जनता का ध्यान बाँटने के लिए अब बीजेपी ‘‘बटेंगे तो कटेंगे‘‘, और सपा एण्ड कम्पनी के लोग ‘‘जुड़ेंगे तो जीतेंगे‘‘ इन नारों को प्रचारित करने व इनकी पोस्टरबाजी आदि भी खूब करने मंे लगी हैं, जबकि इनकी हर मामले में रही दोगली सोच व नीतियों को ध्यान में रखकर वास्तव में होना यह चाहिये कि बी.एस.पी से जुड़ेंगे तो आगे बढ़ेंगे व सुरक्षित भी रहेंगे।
हालाँकि प्रदेश में विकास व कानून-व्यवस्था के मामले में बी.एस.पी. की रही सरकार की तुलना में बीजेपी की वर्तमान में चल रही सरकार से व इसके पूर्व में सपा के रहे शासनकाल से भी जनता को यह जरूर सोचना चाहिये कि इन तीनों में से केवल बी.एस.पी का ही शासनकाल काफी बेहतरीन रहा है। ऐसे में इनको ये हवा-हवाई नारों व पोस्टरबाजी आदि के चक्कर में बिल्कुल भी नहीं पड़ना है।
इसलिए अपनी कमियों की वजह से ही अब बीजेपी के लोग यह नारा लगाकर उपचुनाव में वोट माँग रहे है कि ‘‘बटेंगे व तो कटेंगे‘‘ तथा वहीं सपा के लोग भी यह नारा लगाकर वोट माँग रहे हैं कि ‘‘जुड़ेगे तो जीतेंगे‘‘, जबकि इनकी आड़ में ये दोनों पार्टियाँ और इनके गठबन्धन यहाँ के लोगों को केवल गुमराह कर रहे हैं जिनसे इन सीटों के वोटरों (मतदाताओं) को सावधान रहना बहुत जरूरी है।
इतना ही नहीं बल्कि सपा की रही सरकार मंे तो यहाँ अधिकारी लोग नहीं बल्कि सपा के गुण्डे, बदमाश व माफिया आदि ही ज्यादातर इनकी सरकार चलाते रहे हैं और अब ऐसा लगता है कि यहाँ हो रहे उपचुनाव में सपा अपने गुण्डों बदमाशों व माफियाओं को अन्दर-अन्दर यह कह रहे हैं कि यह उपचुनाव जीतोगे तो आगे सरकार बनाओगे, तभी फिर बचे रहोगे।इस प्रकार से इन विरोधी पार्टियों की ऐसी सोच व धारणा से दूर रहकर अब बी.एस.पी. यह चाहती है कि इनसे दूर रहंेगे तो बचे रहेंगे अर्थात् इन दोनों पार्टियों व इनके गठबन्धन से दूर रहेंगे तो बचे रहेंगे। और अब समय आ गया है कि लोगों को खुद ही इन विरोधी पार्टियों के इस प्रकार के घिनौने, विषैले व संकीर्ण राजनीति के छलावों आदि से बचने के साथ ही इनके गुमराह करने वाले ऐसे नारों व पोस्टरबाजी आदि से भी जरूर बचना होगा और इसका जवाब इसी चुनाव में भी देना होगा।इसीलिए यूपी में हो रहे विधानसभा उपचुनावों में आम लोगों के साथ ही खासकर यहाँ के वोटरों से यह विशेष अपील है कि वे इन विरोधी पार्टियों के ऐसे किसी भी छलावे, बहकावे व भड़कावे आदि में ना पड़कर अपना व अपने परिवार के हित के तथा प्रदेश के भी हित में ऐसी सभी पार्टियों से दूर रहते हुए अपने वोट केवल बी.एस.पी. उम्मीदवारांे को ही दें क्योंकि इसी में ही सबका हित निहित व सुरक्षित भी है।इसके इलावा, आप लोगों को यह भी मालूम है कि यू.पी. के उपचुनावों के साथ-साथ देश में झारखण्ड व महाराष्ट्र प्रदेश में भी विधानसभा के लिए आमचुनाव हो रहे हैं। यहाँ भी हमारी पार्टी अकेले अपने बलबूते पर यह चुनाव लड़ रही है। और यहाँ खास ध्यान देने की बात यह है कि इन दोनों राज्यों के चुनावों में बीजेपी व कांग्रेस का बना गठबन्धन पूर्व में हुए चुनावों में जारी किये इनके अपने-अपने चुनावी घोषणा-पत्रों को लागू करने को लेकर एक-दूसरे पर काफी आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं, जबकि इस मामले में ये सभी पार्टियाँ एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं, जिनके बहकावे में इस बार यहाँ कि जनता को कतई भी नहीं आना है और अब तो इस मामले में कर्नाटक की कांग्रेसी सरकार के खुद ही इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पोल भी खोल रहे हैं और इसीलिए इस मामले में ऐसी सभी पार्टियों पर अब जनता को कतई भी विश्वास नहीं करना है।
कांग्रेस द्वारा हिमाचल प्रदेश व फिर कर्नाटक में भी चुनावी वादों की भरमार लगा दी गयी किन्तु अब वहाँ उनकी सरकार बन जाने पर उन वादों को पूरा करना वित्तीय कमी के कारण मुश्किल ही नहीे बल्कि असंभव हो रहा है। हिमाचल प्रदेश में तो सरकार को कर्मचारियों को वेतन देना तक में भारी दिक्कत व परेशानी हो रही है।
इतना ही नहीं बल्कि पूरे देश में हर क्षेत्र में महिलाओं का उत्पीड़न होना अभी तक भी बन्द नहीं हो पा रहा है और इस मामले में अभी हाल ही में महाराष्ट्र में अरविन्द सावन्त द्वारा जिस प्रकार से वहाँ महिला के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया है, एक महिला के लिए अमानवीय, शर्मनाक व निन्दनीय भाषा का इस्तेमाल किया गया है, उसे वहाँ की सरकार को हल्के में ना लेकर बल्कि अति-गम्भीरता से लेते हुये उसके विरूद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई करनी चाहिये जो यह बहुत जरूरी है।

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