लखनऊ, 9 अक्टूबर 2025: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने 9 साल बाद राजधानी लखनऊ में बड़ी रैली कर शक्ति प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ की और समाजवादी पार्टी (सपा) पर तीखा हमला बोला। मायावती ने कहा कि “जैसे ही सपा के हाथ से कुर्सी जाती है, ये खुद को सामाजिक न्याय का सबसे बड़ा ठेकेदार बताने लगते हैं, जबकि जनता अब इनके दोहरे और स्वार्थी रवैये को भली-भांति समझ चुकी है।”
उन्होंने आज़म खान के बसपा में शामिल होने की अफवाहों पर भी पहली बार खुलकर जवाब दिया। कहा—“मैं ऐसे किसी से छिपकर नहीं मिलती, जब भी मिलती हूं तो खुले में मिलती हूं। पिछले महीने से जानबूझकर अफवाहें फैलाई जा रही हैं कि दूसरी पार्टी के नेता बसपा में शामिल हो रहे हैं, लेकिन मुझे अब तक ऐसी किसी बात की जानकारी नहीं है।”
मायावती ने नगीना सांसद चंद्रशेखर आज़ाद पर बिना नाम लिए निशाना साधते हुए कहा कि “बसपा के वोट को काटने के लिए स्वार्थी और बिकाऊ किस्म के लोगों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसी बिकाऊ पार्टियों को अपना एक भी वोट नहीं देना है।”

उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि “विरोधियों के हथकंडों से सावधान रहकर पार्टी के जनाधार को मजबूत करना है। बसपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के बनाए संविधान को सुरक्षित रख सकती है। हर पोलिंग बूथ पर जाकर लोगों को बसपा की नीतियों से जोड़ना होगा।”
रैली में मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को बसपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए जाने का ऐलान किया। कहा—“जिस प्रकार कांशीराम जी ने मुझे आगे बढ़ाया, उसी तरह मैंने आकाश आनंद को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है। वे मेरे मार्गदर्शन में काम करेंगे और आनंद कुमार भी इनकी मदद करेंगे।”
आकाश आनंद ने भी मंच से कहा—“आज की इस ऐतिहासिक रैली में उमड़ी भीड़ ये साफ संकेत दे रही है कि 2027 में बसपा की सरकार बनने जा रही है।”
कार्यक्रम की शुरुआत में मायावती और आकाश आनंद ने कांशीराम की मूर्ति पर पुष्पांजलि अर्पित की। मंच पर पहुंचने पर उन्होंने समर्थकों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया। रैली में बसपा के वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र मिश्रा, उनके बेटे कपिल मिश्रा, इकलौते विधायक उमाशंकर सिंह, और प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल की भी मायावती ने तारीफ की। उन्होंने कहा—“विश्वनाथ पाल पिछड़ों को पार्टी से जोड़ने और बहुजन समाज के लोगों को न्याय दिलाने का काम कर रहे हैं।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लखनऊ की यह रैली बसपा के लिए नई ऊर्जा और संभावित संजीवनी साबित हो सकती है, क्योंकि 2012 के बाद पार्टी लगातार चुनावी गिरावट झेल रही है। 2022 विधानसभा चुनाव में बसपा को केवल एक सीट मिली थी और 2024 लोकसभा चुनाव में पार्टी का खाता तक नहीं खुला था।
9 अक्टूबर 2016 के बाद लखनऊ में हुई यह बसपा की सबसे बड़ी रैली मानी जा रही है, जि