लखनऊ। नगर निगम मुख्यालय के सभागार में शुक्रवार को हुई कार्यकारिणी की बैठक साढ़े तीन घंटे चली, लेकिन लगातार हंगामे और बहस के कारण कोई ठोस निर्णय नहीं निकल सका। बैठक के अंत में मेयर सुषमा खर्कवाल नाराज हो गईं और अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने बैठक के तुरंत बाद मुख्यालय में प्रेसवार्ता की और कहा कि यह बैठक पूरी तरह से बेनतीजा रही। अब 30 अक्टूबर को दोबारा बैठक बुलाई गई है।
मेयर ने कहा कि “अधिकारियों की लापरवाही की वजह से जनता के बीच हमें शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है। पिछली बैठक में जो संकल्प लिए गए थे, उनमें से एक भी पूरा नहीं हुआ।” उन्होंने करीब 15 मिनट तक रजिस्टर पलटते हुए विभागवार स्थिति की जानकारी दी।
मेयर सुषमा खर्कवाल ने बताया कि पिछली बैठक में शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए कई प्रस्तावों पर सहमति बनी थी — जिनमें स्ट्रीट लाइट, गड्ढामुक्त सड़क, सफाई व्यवस्था, पार्कों और सड़कों के नामकरण से जुड़े संकल्प शामिल थे। मगर किसी भी संकल्प पर काम नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि “विकास के अधूरे कामों की जिम्मेदारी नगर आयुक्त और संबंधित अधिकारियों की थी, मगर किसी ने गंभीरता नहीं दिखाई।”
बैठक के बाद पार्षद अनुराग मिश्रा उर्फ अन्नू ने भी मायूसी जताते हुए कहा कि “हम पार्षदों को जनता के बीच जवाब देना पड़ता है, लेकिन अधिकारी और कार्यदायी संस्थाएं इसे गंभीरता से नहीं ले रही हैं। आज की बैठक में अधिकारी बिना तैयारी के पहुंचे, जिससे आम जनता और निगम दोनों का नुकसान हो रहा है।”
बैठक के दौरान लगातार हंगामा और तीखी बहस होती रही। पार्षदों ने निजी कंपनियों द्वारा की जा रही सफाई व्यवस्था पर नाराजगी जताई और कहा कि ठेकेदार कंपनियां लापरवाही कर रही हैं।सूत्रों के अनुसार, कार्यकारिणी बैठक में गणेशगंज-बशीरतगंज वार्ड के हाथी खाना क्षेत्र में दुकानों को नीलामी के जरिए किराए पर देने का प्रस्ताव भी पेश किया गया, जो नगर निगम की कार्यकारिणी में पहली बार आया है। वहीं, पार्कों के रखरखाव को जोन या वार्ड स्तर पर कराने के मुद्दे पर भी पार्षदों के बीच विवाद देखने को मिला।
लगातार हंगामे और असहमति के बीच बैठक का समापन हुआ। मेयर ने स्पष्ट किया कि अब 30 अक्टूबर को दोबारा बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें सभी अधिकारी पूरी तैयारी के साथ आएं और पहले से लंबित संकल्पों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाए।

