डिजिटल युग में अस्पतालों की साइबर सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण पर विशेषज्ञों ने रखे विचार

लखनऊ, 15 अक्टूबर 2025:एसजीपीजीआईएमएस (संजीवनी चिकित्सा विज्ञान संस्थान) के अस्पताल प्रशासन विभाग की ओर से बुधवार को केंद्रीय पुस्तकालय परिसर स्थित एच.जी. खुराना ऑडिटोरियम में “साइबर सुरक्षा विस-आ-विस स्वास्थ्य सेवा संगठन और मिशन शक्ति” विषय पर एक उच्च-स्तरीय प्रसार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम दोपहर 2:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक चला।

कार्यक्रम का आयोजन डॉ. आर. हर्षवर्धन, प्रोफेसर, अस्पताल प्रशासन एवं आयोजन अध्यक्ष के नेतृत्व में किया गया। संगोष्ठी का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा संस्थानों में बढ़ते साइबर खतरों, डिजिटल डेटा संरक्षण और महिला सशक्तिकरण के महत्व पर जागरूकता बढ़ाना था। कार्यक्रम का आयोजन लखनऊ पुलिस आयुक्तालय के सहयोग से किया गया।
संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में पद्मश्री प्रो. आर.के. धीमान, निदेशक, एसजीपीजीआईएमएस, प्रो. शालीन कुमार, डीन, एसजीपीजीआईएमएस, सुश्री कृतिका शर्मा, आईएएस, विशेष सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग एवं अतिरिक्त निदेशक, एसजीपीजीआईएमएस, श्री आशुतोष पांडे, आईपीएस, महानिदेशक (दूरसंचार), यूपी पुलिस, श्री ऋषभ रनवाल, आईपीएस, सहायक पुलिस अधीक्षक, श्री रल्लापल्ली वसंत कुमार, आईपीएस, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, श्रीमती सौम्या पांडे, पीपीएस, एसीपी, पुलिस आयुक्तालय लखनऊ, एवं प्रो. ज्ञान चंद, कार्यवाहक प्रमुख, अस्पताल प्रशासन विभाग, उपस्थित रहे।

कार्यक्रम की शुरुआत पंजीकरण, पुष्पांजलि और दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। प्रो. आर. हर्षवर्धन ने स्वागत भाषण में कहा कि “आज के युग में साइबर सुरक्षा केवल तकनीकी आवश्यकता नहीं बल्कि रोगी सुरक्षा और संस्थागत विश्वसनीयता का महत्वपूर्ण स्तंभ बन चुकी है।” उन्होंने अस्पतालों से साइबर लचीलापन और डिजिटल साक्षरता बढ़ाने का आह्वान किया।
प्रो. शालीन कुमार ने डेटा सुरक्षा और मेडिकल रिकॉर्ड्स की गोपनीयता पर अपने विचार रखे, जबकि सुश्री कृतिका शर्मा, आईएएस ने कहा कि “साइबर सुरक्षा तकनीकी विषय नहीं, बल्कि एक प्रशासनिक और नेतृत्व की प्राथमिकता है, जिसमें जवाबदेही और नीति-निर्माण की भूमिका अहम है।”

प्रो. आर.के. धीमान ने अपने संबोधन में कहा कि अस्पताल अब केवल चिकित्सा संस्थान नहीं, बल्कि डेटा-आधारित संगठनों में बदल चुके हैं। ऐसे में डिजिटल सतर्कता, नैतिक जिम्मेदारी और रोगी विश्वास के बीच संतुलन बनाए रखना बेहद आवश्यक है।
मुख्य अतिथि श्री आशुतोष पांडे, आईपीएस ने “ऑनलाइन सुरक्षित रहें” विषय पर अपने विचार साझा करते हुए साइबर अपराध, रैंसमवेयर हमले, सोशल इंजीनियरिंग और वित्तीय धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि “सुरक्षित डिजिटल वातावरण के लिए पुलिस, प्रशासन और स्वास्थ्य संस्थानों के बीच समन्वय अत्यंत आवश्यक है।”
संगोष्ठी के वैज्ञानिक सत्र में श्री ऋषभ रनवाल, आईपीएस ने अस्पतालों में डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल और घटना प्रतिक्रिया तंत्र पर व्यावहारिक जानकारी दी। इसके बाद श्री रल्लापल्ली वसंत कुमार, आईपीएस ने साइबरस्पेस में उभरते खतरों पर प्रस्तुति दी। संवाद सत्र में प्रतिभागियों ने साइबर सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों पर प्रश्न पूछे, जिनका विशेषज्ञों ने विस्तृत उत्तर दिया।
संगोष्ठी के दूसरे सत्र में “मिशन शक्ति” पर केंद्रित चर्चा हुई। श्रीमती सौम्या पांडे, पीपीएस ने महिला सुरक्षा, डिजिटल जागरूकता और हेल्पलाइन पहलों पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि “मिशन शक्ति” अब एक समग्र डिजिटल सशक्तिकरण कार्यक्रम बन चुका है, जिससे महिलाओं को तत्काल कानूनी व मनोवैज्ञानिक सहायता मिल रही है।
कार्यक्रम के अंत में प्रो. ज्ञान चंद ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। उन्होंने सभी अतिथियों, वक्ताओं और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह संगोष्ठी साइबर जागरूकता और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस अवसर पर एसजीपीजीआईएमएस के संकाय, रेजिडेंट, नर्सिंग स्टाफ और प्रशासनिक अधिकारियों सहित 150 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। साथ ही राज्य अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (SOTTO) द्वारा एक “अंगदान प्रतिज्ञा डेस्क” भी लगाई गई, जहाँ अनेक प्रतिभागियों ने अंगदान की प्रतिज्ञा लेकर “जीवन से परे जीवन देने” का संकल्प लिया।
यह सेमिनार एसजीपीजीआईएमएस के स्नातकोत्तर छात्रों के प्रयासों से, निदेशक प्रो. आर.के. धीमान और चिकित्सा अधीक्षक प्रो. आर. हर्षवर्धन के मार्गदर्शन में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।