Wednesday, December 3, 2025
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केजीएमयू पर लगाए गए आरोप भ्रामक और तथ्यहीन, विश्वविद्यालय ने जारी किया विस्तृत स्पष्टीकरण

लखनऊ।किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी ने सोशल मीडिया पर साझा किए गए दावे को पूरी तरह गलत, भ्रामक और सनसनी फैलाने वाला बताया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि आरोप तथ्यों पर आधारित नहीं हैं और उनसे जनता को गुमराह करने का प्रयास किया गया है।
केजीएमयू प्रशासन ने कहा कि एमबीबीएस की एक भी सीट खाली नहीं है, सभी सीटें विधिवत भरी हुई हैं और नियमित रूप से संचालित हो रही हैं।प्रशासन ने बताया कि पिछले ७ वर्षों में कुल २० फैकल्टी सदस्यों ने केजीएमयू छोड़ा है। विश्वविद्यालय ने पारदर्शिता के लिए इन सभी नामों और उनके व्यक्तिगत कारणों की पूरी सूची भी सार्वजनिक की है।केजीएमयू के अनुसार अधिकांश फैकल्टी सदस्य जूनियर स्तर के थे, और उनकी प्राथमिकता निजी कॉर्पोरेट अस्पतालों में बेहतर वेतन एवं करियर अवसर प्राप्त करना रहा। वर्तमान में केवल एक फैकल्टी सदस्य ने वीआरएस के लिए आवेदन किया था, जिसे अस्वीकार कर दिया गया है।
विश्वविद्यालय ने यह भी बताया कि जहां ७ वर्षों में २० लोग संस्थान छोड़कर गए, वहीं इसी अवधि में १५० से अधिक नए फैकल्टी सदस्य नियुक्त किए गए, जिससे केजीएमयू का शैक्षणिक ढांचा और मजबूत हुआ है।फैकल्टी ड्रॉप-आउट दर बेहद कम,कुल फैकल्टी: लगभग ५००,७ साल में छोड़ने वाले: २०,वार्षिक औसत: लगभग ३,ड्रॉप-आउट दर: ०.६ज्ञ् ।प्रशासन के अनुसार यह दर भारत के किसी भी प्रमुख चिकित्सा संस्थान में दर्ज सबसे कम दरों में से एक है।एआईआईएमएस से तुलना,सरकार द्वारा संसद में दी गई जानकारी के अनुसार वर्ष २०२२ से २०२४ के बीच देशभर के एआईआईएमएस संस्थानों से ४२९ फैकल्टी सदस्यों ने इस्तीफा दिया।इसमें –एआईआईएमएस दिल्ली – ५२,एआईआईएमएस ऋषिकेश – ३८,एआईआईएमएस रायपुर – ३५,एआईआईएमएस कल्याणी – २२,एआईआईएमएस बिलासपुर – ३२,आदि शामिल हैं।
एआईआईएमएस में औसत वार्षिक ड्रॉप-आउट दर लगभग ५.१ज्ञ् है, जो केजीएमयू की ड्रॉप-आउट दर (०.६ज्ञ्) से कई गुना अधिक है।केजीएमयू प्रशासन ने कहा कि संस्था में फैकल्टी रिटेंशन बेहद मजबूत है और बड़े पैमाने पर भर्ती के चलते शिक्षण व्यवस्था लगातार सुदृढ़ हो रही है। सोशल मीडिया पर किया गया दावा बिना आधार, तथ्यहीन और जनता को गुमराह करने वाला है।

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