लखनऊ 2 अक्टूबर 2025।राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 156वीं और देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 121वीं जयंती के अवसर पर संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआईएमएस), लखनऊ में आज विशेष श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। संस्थान के केंद्रीय पुस्तकालय परिसर में आयोजित इस समारोह में दोनों महापुरुषों के प्रति भावपूर्ण श्रद्धा अर्पित की गई।

कार्यक्रम की शुरुआत प्रातः 11 बजे दीप प्रज्वलन और महात्मा गांधी व लाल बहादुर शास्त्री के चित्रों पर पुष्प अर्पित कर हुई। इस अवसर पर एसजीपीजीआईएमएस के निदेशक प्रो. आर. के. धीमन, संयुक्त निदेशक (सामग्री प्रबंधन) श्री प्रकाश सिंह, संयुक्त निदेशक प्रशासन कर्नल जयदीप सिंह घुमन और चिकित्सा अधीक्षक प्रो. आर. हर्षवर्धन सहित बड़ी संख्या में फैकल्टी सदस्य, रेजिडेंट डॉक्टर, कर्मचारी और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।
निदेशक प्रो. धीमन ने कहा कि महात्मा गांधी के मूल आदर्श—सादगी, अनुशासन, अहिंसा और आत्मनिर्भरता—आज भी समाज और संस्थान के लिए पथप्रदर्शक हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि व्यक्तिगत आचरण से लेकर संस्थागत कार्यप्रणाली तक में इन मूल्यों को अपनाना समय की आवश्यकता है। चिकित्सा अधीक्षक प्रो. हर्षवर्धन ने अपने संबोधन में कहा कि गांधीजी को केवल एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए बल्कि उनके जीवन-दर्शन का अध्ययन और आत्मसात कर स्वास्थ्य सेवाओं में लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने विशेष रूप से रोगी देखभाल और सेवा वितरण में गांधीवादी सिद्धांतों को अपनाने की जरूरत पर बल दिया।

इस अवसर पर संस्थान द्वारा 17 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक मनाए गए स्वच्छ भारत मिशन पखवाड़ा की गतिविधियों पर भी प्रकाश डाला गया। इस पखवाड़े के दौरान संस्थान के विभिन्न विभागों और परिसरों में सफाई अभियान चलाए गए। इन अभियानों का संचालन डॉ. प्रशांत अग्रवाल, नोडल ऑफिसर (सैनिटेशन एवं प्रोफेसर, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग) और वरिष्ठ सैनिटेशन अधिकारी श्री ओम प्रकाश के मार्गदर्शन में हुआ। सफाई कर्मियों, हाउसकीपिंग स्टाफ और सैनिटेशन इंस्पेक्टर की सक्रिय भागीदारी से यह अभियान सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।
संस्थान के अधिकारियों ने कहा कि इन पहलों ने न केवल स्वच्छता को बढ़ावा दिया है, बल्कि गांधीवादी सिद्धांतों—स्वच्छता, आत्म-अनुशासन और समाज सेवा—के प्रति संस्थान की प्रतिबद्धता को और मजबूत किया है।
कार्यक्रम का समापन महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री जी के मूल्यों की सामूहिक पुनः पुष्टि के साथ किया गया। वक्ताओं ने कहा कि दोनों महापुरुषों के शाश्वत आदर्श आज भी देश को समानता, आत्मनिर्भरता और सेवा की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं।