Saturday, October 18, 2025
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केजीएमयू में ‘परफॉर्मेंस ब्रेकथ्रू’ विषय पर दो दिवसीय नेतृत्व कौशल निर्माण कार्यशाला सम्पन्न

लखनऊ।किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), लखनऊ में ‘परफॉर्मेंस ब्रेकथ्रू’ विषय पर दो दिवसीय नेतृत्व कौशल निर्माण कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। यह कार्यशाला केजीएमयू बी.ई.एस.टी. (बिल्डिंग एजुकेटर्स थ्रू स्किल ट्रेनिंग) और मेडिकल एजुकेशन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ११ और १२ अक्टूबर २०२५ को डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम सेंटर में आयोजित की गई। इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्वास्थ्य क्षेत्र के पेशेवरों में नेतृत्व क्षमता और उत्कृष्टता का विकास करना था।
कार्यशाला के संसाधन व्यक्ति श्री जयंन्त कृष्णा थे, जो एक प्रसिद्ध नेतृत्व प्रशिक्षक और संगठनात्मक विकास विशेषज्ञ हैं। उन्होंने केस स्टडी, अनुभवात्मक अभ्यास और संवादात्मक सत्रों के माध्यम से प्रतिभागियों को व्यक्तिगत प्रभावशीलता, टीम सहयोग और संस्थागत प्रदर्शन में ‘ब्रेकथ्रू’ हासिल करने के उपाय बताए।इस अवसर पर विश्वविद्यालय की विभिन्न संकायों से कई वरिष्ठ शिक्षकों एवं प्रशासनिक पदों पर कार्यरत अधिकारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
कुलपति प्रो. सोनिया नित्यनंद ने कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कहा कि ‘नेतृत्व प्रत्येक चिकित्सक के लिए एक अनिवार्य गुण है, जो केवल चिकित्सकीय दक्षता तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रभावी संवाद, निर्णय क्षमता और टीम को प्रेरित करने की योग्यता को भी समाहित करता है।’ उन्होंने केजीएमयू बी.ई.एस.टी. और मेडिकल एजुकेशन विभाग की इस पहल की सराहना की, जो संकाय सदस्यों के नेतृत्व, शिक्षण और प्रबंधन कौशल को सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं।कार्यक्रम की संयोजक डॉ. अंजू अग्रवाल ने कहा कि ‘वास्तविक परफॉर्मेंस ब्रेकथ्रू तब होता है जब व्यक्ति अपने व्यक्तिगत लक्ष्यों को संस्थान के विज़न के साथ जोड़ लेता है। इससे जवाबदेही, नवाचार और सहानुभूति की संस्कृति विकसित होती है।’ संगठन सचिव डॉ. रिदम ने कहा कि ‘मेडिकल संस्थानों में नेतृत्व प्रशिक्षण से टीम वर्क, सहनशीलता और समस्या-समाधान क्षमता मजबूत होती है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होता है।’श्री जयंन्त कृष्णा ने कहा कि सच्चा नेतृत्व केवल पद या अधिकार में नहीं होता, बल्कि यह दूसरों को प्रेरित करने, उनके भीतर की क्षमता को उजागर करने और उन्हें एक साझा उद्देश्य की ओर अग्रसर करने की कला है। उन्होंने कहा कि आत्म-जागरूकता, उद्देश्य की स्पष्टता और निरंतर अनुशासन ही प्रदर्शन में वास्तविक ‘ब्रेकथ्रू’ की कुंजी हैं, जो बेहतर रोगी सेवा और संस्थागत विकास में परिवर्तित होती हैं।

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