कलर्स के ‘तू जूलियट जट्ट दी’ में हीर बनीं जस्मीत कौर ने साझा किया अपना अनुभव
कॉलेज ही आमतौर पर वो जगह होती है जहां प्यार की कहानियां शुरू होती हैं – नई दोस्तियां, क्रश, कैंटीन की मस्ती और रात भर चलने वाली बातें। लेकिन ‘तू जूलियट जट्ट दी’ इस पूरी कहानी को उलट देता है, जहां पहले शादी होती है, फिर कॉलेज, और उसके बाद प्यार। यह नई उम्र की कैंपस रोमांस कहानी दो बिल्कुल अलग लोगों के इर्द-गिर्द घूमती है, जिनकी जिंदगियां सबसे अनपेक्षित तरीके से टकराने वाली हैं। कहानी में नवाब (सैयद रज़ा) हैं – एक अमीर, बेफिक्र जट्ट जो अपनी शर्तों पर जिंदगी जीता है, खुलकर, अचानक फैसले लेने वाला और कमिटमेंट से दूर भागने वाला। वहीं हीर (जसमीत कौर) बिल्कुल विपरीत – महत्वाकांक्षी, अनुशासित, व्यावहारिक और अपनी मां के लिए बेहतर भविष्य बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित। हीर का किरदार निभा रहीं जसमीत कौर बताती हैं कि किस तरह कॉलेज की उस एनर्जी को स्क्रीन पर लाना, कैंपस की भागदौड़ से लेकर दोस्ती, प्यार और खुद को खोजने की उस युवा भावना को पकड़ना, उनके लिए बेहद मजेदार रहा, जो ‘तू जूलियट जट्ट दी’ की पहचान है।
शो के बारे में हमें बताइए?
‘तू जूलियट जट्ट दी’ एक आम कैंपस रोमांस जैसा बिलकुल नहीं है, क्योंकि यहां पहले शादी होती है, फिर कॉलेज, और फिर दिल मिलते हैं! चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की एनर्जी, मस्ती भरी नोक–झोंक, ईगो क्लैशेज़ और दो बिल्कुल अलग दुनियाओं के बीच उठती चिंगारियां – ये सब मिलकर इसे बहुत ही इलेक्ट्रिक बना देते हैं। हीर और नवाब एक-दूसरे से ज़्यादा अलग नहीं हो सकते – वो फोकस्ड, महत्वाकांक्षी और एक मकसद से चलने वाली लड़की है, जबकि वो बेफिक्र, इम्पल्सिव और मानने वाला कि नियम तोड़ने के लिए ही बने हैं। लेकिन असली ट्विस्ट यह है कि कॉलेज वाला हंगामा शुरू होने से पहले ही किस्मत उन्हें एक मजबूरी की शादी में बांध देती है! तो जब वे दोबारा कैंपस में मिलते हैं, तो यह सिर्फ रंजिश नहीं रह जाती; इसमें ईगो, इमोशन और वह अजीब-सी खींच भी शामिल है जो खत्म होने का नाम नहीं लेती। मुझे सबसे ज़्यादा यह बात पसंद है कि शो प्यार को किसी परफेक्ट फेयरीटेल की तरह नहीं दिखाता; यह प्यार को कच्चा, सच्चा और बेहद अनप्रेडिक्टेबल रूप में दिखाता है। मुझे लगता है आज की जेनरेशन इससे कनेक्ट करेगी, क्योंकि प्यार का परफेक्ट होना जरूरी नहीं, उसका सच्चा और ताकतवर होना जरूरी है – और हमारी कहानी उसी बात का जश्न मनाती है।
आपको अपने किरदार हीर में खास तौर पर क्या चीज़ खींच लाई?
मुझे हीर की सबसे बड़ी खूबी यह लगती है कि वो बहुत ही रियल, जमीन से जुड़ी और रिलेटेबल है। हीर कई मायनों में मेरी ही तरह है – साधारण, शांत, और अपनी मूल्यों में गहराई से जमी हुई। मैं खुद सिख हूं और वो पंजाबी है, तो मुझे अपने कल्चर, अपनेपन, हमारे प्यार, गुस्से और सपने देखने के तरीके में तुरंत एक कनेक्शन महसूस हुआ। लेकिन इससे आगे बढ़कर, मैं मानती हूं कि भारत की बहुत-सी लड़कियां मानसिक रूप से वहीं खड़ी हैं जहां हीर खड़ी है – वे प्रिविलेज्ड नहीं हैं, बल्कि अपने परिवार की ज़िम्मेदारियों का बोझ अपने कंधों पर उठाए हुए हैं। मुझे सचमुच गर्व महसूस होता है कि मैं एक ऐसी कॉलेज गर्ल का किरदार निभा रही हूं जिसकी असली सुपरपावर उसकी पढ़ाई है। हीर को निभाते हुए मेरे भीतर एक जिम्मेदारी का एहसास भी रहता है, क्योंकि वो उन तमाम युवा लड़कियों की आवाज है जो हर मुश्किल के बावजूद अपने परिवार के लिए बेहतर कल चाहती हैं।
हीर की यात्रा अपने पैरों पर खड़े होने की है — अपने सपनों, जिम्मेदारियों और परिवार का सहारा बनने की जद्दोजहद के बीच संतुलन बनाने की। आपने इस जज़्बे, महत्वाकांक्षा और जज़्बाती मजबूती को पर्दे पर उतारने के लिए कैसी तैयारी की?
हीर को निभाना मेरे लिए एक इमोशनल जर्नी रहा है, क्योंकि वो ऐसी लड़की है जिसके लिए आपका दिल खुद-ब-खुद धड़कने लगता है। वो अपने परिवार के सपनों को अपने कंधों पर उठाए चलती है और उसके पास प्यार के लिए वक्त ही नहीं है। और कमाल यह है कि हमारे देश में ऐसी न जाने कितनी हीरें हैं, जिन्हें मैंने खुद देखा है और जिनकी कहानियां मेरे दिल में बस गई हैं। ये वही लड़कियां हैं जो चुपचाप अपनी लड़ाइयां लड़ती हैं, जिनके पास सुविधाएं नहीं हैं लेकिन हौसला बेइंतहा है। यही चीज हीर को मेरे लिए इतना सच्चा बनाती है – वो कमजोर भी है, भावुक भी है लेकिन साथ ही अडिग और अटूट है।
चंडीगढ़ में शूट करने का अनुभव कैसा रहा?
A. सच कहूं तो चंडीगढ़ में शूट करना मेरे लिए बेहद खास अनुभव रहा। मैं मेरठ से हूं, तो यहां आकर इस खूबसूरत शहर में शूट करना मेरे लिए एक बिल्कुल नया एहसास था। चंडीगढ़ की वाइब बहुत ही ज़िंदादिल और फिर भी सुकून भरी है – यहां का माहौल, लोग, उनकी एनर्जी – सबमें एक अलग ही चार्म है। और ज़ाहिर है, यहां का खाना तो कमाल का है! मैं धरम पाजी के ‘गरम धरम’ भी गई और मुझे वह जगह बहुत पसंद आई। लॉन्च के दौरान हम रोज़ गार्डन गए और पंजाब की युवा पीढ़ी से मिलकर उनका जो प्यार, उत्साह और एनर्जी मिली, वह अनुभव अविस्मरणीय था। यह मेरी ज़िंदगी की उन यादों में से एक है जिन्हें मैं हमेशा संभालकर रखूंगी। हमारे शो की कहानी खुद चंडीगढ़ के दिल और रूह को दिखाती है – रंगों से भरी, युवा, इमोशन से लबरेज़ – और यहां होने से मुझे हीर और उसकी दुनिया से और भी गहराई से जुड़ने में मदद मिली।
‘तू जूलियट जट्ट दी’ में सरगुन मेहता और रवि दुबे के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
A. सरगुन मेहता मैम और रवि दुबे सर के साथ काम करना मेरे लिए सपने के सच होने जैसा है। जब सरगुन मैम ने मुझे मैसेज किया, तो मुझे लगा कोई प्रैंक कर रहा है। मैं गुरुद्वारे में थी जब उनका मैसेज आया और मैं इतनी एक्साइटेड हो गई कि तुरंत अपनी मां को बताना चाहती थी। वह पल मेरे लिए अविश्वसनीय था, जैसे जिस मौके का मैं इंतज़ार कर रही थी, वो खुद चलकर मेरे दरवाज़े पर आ गया हो। उस दिन से लेकर आज तक यह सफर कमाल का रहा है। सरगुन मैम और रवि सर, दोनों ही कहानी कहने के मामले में बेहद पैशनेट हैं – वे हर छोटी-बड़ी चीज़ में खुद शामिल रहते हैं, चाहे वह किसी सीन की इमोशन हो या कोई किरदार स्क्रीन पर कैसे सांस लेता है। जो चीज़ उन्हें और भी खास बनाती है, वह है अपनी टीम पर उनका भरोसा और अपनापन। मेरे जैसे किसी नए कलाकार के लिए, जो अपने पहले बड़े प्रोजेक्ट में कदम रख रही है, उनका मार्गदर्शन और विश्वास सब कुछ है।
शो में कॉलेज लाइफ के ज़रिए प्यार, महत्वाकांक्षा, वर्गभेद और ईगो क्लैश जैसे मुद्दों को खूबसूरती से दिखाया गया है। आप क्या चाहेंगी कि दर्शक हीर और नवाब की इस टकराहट भरी कहानी से क्या संदेश लेकर जाएं?
A. यह कहानी दो बिल्कुल अलग लोगों की है, जो धीरे-धीरे एक-दूसरे को समझना सीखते हैं और उसी प्रक्रिया में खुद भी बदलते और बढ़ते हैं। हीर और नवाब के माध्यम से आप देखेंगे कि प्यार हमेशा आसान नहीं होता – वह उलझा हुआ, चुनौती भरा और फिर भी बेहद बदल देने वाला हो सकता है। मुझे अच्छा लगता है कि शो में महत्वाकांक्षा, प्रिविलेज और ईगो जैसे असली मुद्दों को छुआ गया है, जिनसे आज हम में से कई लोग जूझते हैं। खासतौर पर हीर की जर्नी इस बात के इर्द–गिर्द घूमती है कि कैसे वह अपने सपनों और दिल के बीच संतुलन बनाती है। मेरा मानना है कि शो का सबसे खूबसूरत संदेश यह है कि जब लोग दो अलग-अलग दुनियाओं से हों, तब भी अगर उनके बीच समझ और इज़्ज़त हो, तो सबसे मजबूत रिश्ता बन सकता है।
दर्शकों के लिए आपका संदेश क्या है?
A. मेरा दर्शकों से यही कहना है कि ‘तू जूलियट जट्ट दी’ आपको शुरू से अंत तक पूरी तरह एंटरटेन करता रहेगा। इसमें हंसी है, ड्रामा है, रोमांस है और ऐसे कई पल हैं जो आपके दिल को छू जाएंगे – कभी आपको मुस्कुराएंगे तो कभी आपकी आंखें नम कर देंगे। हीर और नवाब की कहानी पटाखों की तरह है – वे लड़ते हैं, गिरते हैं, संभलते हैं, और अपनी जर्नी के हर मोड़ पर आपको अपने साथ महसूस कराते हैं। यह शो युवा है, एनर्जेटिक है और दिल से बना है – केमिस्ट्री और हल्के-फुल्के हंगामे का ऐसा मजेदार मिक्स जो आपको बांधे रखेगा। तो तैयार हो जाइए एक “नेवर से फॉरएवर” वाली लव स्टोरी के लिए।
देखिए ‘तू जूलियट जट्ट दी’, हर सोमवार से रविवार, शाम 7:00 बजे, सिर्फ कलर्स पर

