लखनऊ। श्री अरविंद सोसाइटी रूपांतरण की एस.बी.आई फाउंडेशन के साथ साझेदारी में ‘प्रोजेक्ट इन्क्लूजन’ पहल, भारत में शिक्षक प्रशिक्षण और विकास में बदलाव लाने के प्रयासों में सबसे आगे है, जिसमें समावेशी शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है। इस व्यापक तीन-वर्षीय कार्यक्रम के तहत उत्तर प्रदेश में 63,000 शिक्षकों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया गया है। कुल मिलाकर, प्रोजेक्ट इन्क्लूजन ने भारत में 3,60,000 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया है और अब यह 36 भारतीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में सभी 1,254 केंद्रीय विद्यालय संगठन स्कूलों के साथ कार्यरत है।प्रोजेक्ट इन्क्लूजन न्यूरोडायवर्स छात्रों के लिए शिक्षण वातावरण में सुधार कर मुख्यधारा की शिक्षा में एक बड़ी चुनौती का समाधान कर रहा है। इस लक्ष्य — यह सुनिश्चित करना कि हर बच्चा, चाहे उसकी सीखने की आवश्यकताएं कुछ भी हों, प्रगति कर सके। न्यूरोडायवर्स छात्रों का समर्थन करने की रणनीतियों से सुसज्जित शिक्षक उसकी विशिष्ट आवश्यकताओं को समझ पाए और उन्होंने अपने शिक्षण तरीकों को उसी अनुसार अनुकूलित किया। उन्होंने उसे व्यक्तिगत सहायता दी और कार्यक्रम के माध्यम से उपलब्ध कराए गए विशेष उपकरणों का उपयोग किया। डॉ. सिम्मी महाजन, मुख्य कार्यक्रम अधिकारी, प्रोजेक्ट इन्क्लूजन, श्री अरविंद सोसाइटी ने कहा, “समावेशी शिक्षा को आगे बढ़ाने के हमारे प्रयासों में उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण स्थान है। प्रोजेक्ट इन्क्लूजन के माध्यम से, हमारा उद्देश्य राज्य भर के शिक्षकों को वह कौशल और संसाधन प्रदान करना है जिनकी उन्हें न्यूरोडायवर्स छात्रों का प्रभावी ढंग से समर्थन करने के लिए आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश में शिक्षकों को प्रशिक्षित कर हम कक्षाओं में अधिकाधिक समावेशी वातावरण का निर्माण कर रहे हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि हर बच्चे—चाहे उसकी सीखने की आवश्यकताएं कुछ भी हों—को प्रगति का अवसर मिले। प्रोजेक्ट इन्क्लूजन का उद्देश्य प्रणालीगत परिवर्तन लाना है और एक ऐसा संपूर्ण तंत्र बनाना है जो शिक्षकों, छात्रों और स्कूल प्राधिकरणों की सेवा के लिए तैयार हो। हमारा उद्देश्य ज्ञान, प्रौद्योगिकी और व्यवहार-संबंधी हर संभव प्रयास करना है ताकि पूरे भारत में हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो सके।”न्यूरोडायवर्स छात्रों के अनुरूप अपने शिक्षण तरीकों को बदलना एक प्रमुख सीख रही, और प्रशिक्षण के दौरान प्रस्तुत संसाधन, विशेष रूप से प्रोजेक्ट इन्क्लूजन ऐप, बेहद सहायक रहे हैं। इन उपकरणों ने मुझे प्रत्येक छात्र की विशिष्ट क्षमताओं और चुनौतियों को बेहतर ढंग से समझने में सक्षम बनाया है। कुल मिलाकर, इस प्रशिक्षण ने मुझे एक अधिक समावेशी कक्षा बनाने के लिए आत्मविश्वास और कौशल से सुसज्जित किया है। जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी बच्चा पीछे न छूटे।”