भोपाल/जयपुर/चेन्नई : 05 अक्टूबर, 2025
तमिलनाडु के बाद शनिवार को मध्य प्रदेश और केरल सरकार ने भी कोल्ड्रिफ (Coldrif) कफ सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया। यह कार्रवाई एमपी के छिंदवाड़ा जिले में पिछले 27 दिनों में 11 बच्चों की संदिग्ध मौत के बाद हुई। सभी मृतक बच्चों की उम्र 1 से 5 वर्ष के बीच थी। जांच में पाया गया कि सिरप में डायएथिलीन ग्लाइकॉल तय सीमा से ज्यादा मात्रा में मौजूद था, जो इसे विषैला बना रहा था।
मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने मृतक बच्चों के परिवारों को 4-4 लाख रुपये की आर्थिक मदद देने की घोषणा की। स्टेट फूड एंड ड्रग कंट्रोलर दिनेश कुमार मौर्य ने पुष्टि की कि कोल्ड्रिफ सिरप में हानिकारक रसायन की अधिकता ही मौतों की प्रमुख वजह रही।
उधर, राजस्थान में डेक्सट्रोमेथोरफन हाइड्रोब्रोमाइड कफ सिरप (Dextromethorphan Hydrobromide Syrup IP) से शनिवार को चूरू जिले में 6 साल के बच्चे की मौत हो गई। भरतपुर और सीकर में भी दो संदिग्ध मौतें हो चुकी हैं। इन मामलों के बाद राज्य सरकार हरकत में आई और दवा बनाने वाली कंपनी केसंस फार्मा की सभी 19 दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया। कंपनी का मुख्य प्लांट जयपुर में है। साथ ही राज्य के ड्रग कंट्रोलर राजाराम शर्मा को निलंबित कर दिया गया है, जिन्होंने पहले कंपनी को क्लीन चिट दी थी।
इसी कफ सिरप से भरतपुर में एक बुजुर्ग महिला की तबीयत बिगड़ गई। हालांकि चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने कहा कि मौतों की वजह सिरप ही है, यह कहना जल्दबाजी होगी। जांच जारी है।
इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी सतर्कता बरतते हुए शुक्रवार को एडवाइजरी जारी की। इसमें कहा गया कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी तरह का कफ सिरप न दिया जाए। 5 साल तक के बच्चों को भी यह दवा आम तौर पर नहीं दी जानी चाहिए। बड़े बच्चों को अगर सिरप दिया जाए तो उनकी निगरानी, उचित खुराक और न्यूनतम अवधि का सख्ती से पालन जरूरी है।
DGHS की डॉ. सुनीता शर्मा द्वारा जारी इस एडवाइजरी में स्पष्ट कहा गया कि कफ सिरप अन्य दवाओं के साथ न दिया जाए और माता-पिता बच्चों को स्वयं बिना डॉक्टर की सलाह पर ऐसी दवाएं न दें।