Wednesday, December 24, 2025
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कॉल्विन तालुकदार्स कॉलेज ने छात्रों के व्यक्तित्व के विकास का कार्यक्रम सराहनीय : मुख्यमंत्री

लखनऊ : 23 दिसम्बर, 2025
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कॉल्विन तालुकदार्स कॉलेज ने अपने छात्रों के सम्पूर्ण व्यक्तित्व के विकास का जो कार्यक्रम आगे बढ़ाया है, वह अत्यन्त सराहनीय है। संस्थान ने भारत की ऐतिहासिक और पौराणिक परम्परा के प्रतीक अजन्ता, नालन्दा, सांची, तक्षशिला और उज्जैन के नाम पर छात्रों के अलग-अलग हाउसेज बनाकर अपनी विरासत को संजोकर रखा है। यह वर्ष आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि आप सभी विद्यालय की 134वीं वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता के साथ जुड़ रहे हैं।

मुख्यमंत्री आज यहां कॉल्विन तालुकदार्स कॉलेज में वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता के पुरस्कार वितरण समारोह में विद्यार्थियों को पुरस्कार वितरित करने के उपरान्त अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इससे पूर्व, मुख्यमंत्री ने मार्च पास्ट की सलामी ली तथा पिरामिड ड्रिल का अवलोकन किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अजन्ता, नालन्दा, सांची, तक्षशिला और उज्जैन यह भारत की ज्ञान की परम्परा के पांच प्रमुख स्तम्भ रहे हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के छोटे भाई भरत जी के पुत्र का नाम तक्ष था। उनके नाम पर तक्षशिला नाम पड़ा। दुनिया का सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय इसी तक्षशिला में था। विश्वप्रसिद्ध ज्ञान और विज्ञान की जो भी धरोहर आज दुनिया में देखने को मिलती है और जो शोध हो रहे हैं, उनकी आधारशिला आज से ढाई हजार वर्ष पहले तक्षशिला विश्वविद्यालय में रखी जा चुकी है। यही वह विश्वविद्यालय है, जहां संस्कृत व्याकरण के जनक पाणिनि ने जन्म लिया, जिस विश्वविद्यालय ने दुनिया को आयुर्वेद का ज्ञान दिया, भारत के दर्शन को आगे बढ़ाने का कार्य किया और जिसने जीवक जैसा आयुर्वेद का आचार्य भी भारत को दिया। जो विद्यार्थी तक्षशिला हाउस से जुड़े हैं, उन्हें तक्षशिला के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज से 2000 वर्ष पहले भारत का वह युग स्वर्ण युग था, जब आचार्य चाणक्य और चन्द्रगुप्त मौर्य की जोड़ी ने एकसाथ मिलकर भारत को परम वैभव तक पहुंचाने का कार्य किया था। नालंदा विश्वविद्यालय उस समय भारत पर हो रहे हमलां को रोकने तथा उनका जवाब दिए जाने की आधारशिला बना था। उज्जैन ग्रह और नक्षत्रों के बारे में ज्ञान का प्रसिद्ध केन्द्र था। उज्जैन ने ब्रह्माण्ड के रहस्यों को हम सबके सामने प्रस्तुत किया। उज्जैन में ही महाराज विक्रमादित्य का सिंहासन हमें न्याय की अवधारणा का बोध कराता है। उज्जैन महाकाल की भी धरती है, जो काल का भी अतिक्रमण कर दे, वही महाकाल है। अजन्ता और सांची भी भारत की समृद्ध ज्ञान परम्परा की धरोहर है। अजन्ता की गुफाएं और सांची के स्मारक हमें भारत की प्राचीनता के दर्शन कराते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह वर्ष देश के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह वर्ष अनेक उपलब्धियों से जुड़ा है। नवम् सिख गुरु तेग बहादुर जी महाराज का यह 350वां शहीदी वर्ष है। देश ने हाल ही में लोकमाता अहिल्याबाई होलकर जी का 300वां जयंती कार्यक्रम सम्पन्न किया है। आजादी की लड़ाई लड़ने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों तथा क्रान्तिकारियों को प्रेरणा देने वाले ‘वन्दे मातरम्’ राष्ट्रगीत की रचना के 150 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जन्म जयंती का यह 150वां वर्ष है। यह वर्ष जनजातीय समाज में देश की स्वाधीनता का भाव पैदा करने वाले भगवान बिरसा मुण्डा का भी 150वां जयन्ती वर्ष है। स्वतंत्र भारत में जिस संविधान ने हमें उत्तर से दक्षिण तथा पूरब से पश्चिम तक एकता के सूत्र में बांधा है, उस संविधान के भी 75 वर्ष पूरे हुए हैं। इस अवसर पर हम आज कॉल्विन तालुकदार्स कॉलेज की 134वीं वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता के साथ जुड़ रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इतिहास के गौरवशाली क्षणों से प्रेरणा लेने तथा इतिहास की गलतियों का परिमार्जन किये जाने की आवश्यकता है, तभी समाज आगे बढ़ सकता है। अगर कहीं पर गलती हुई है, तो उसका समय पर परिमार्जन होना चाहिए। कहीं पर अच्छा हुआ है, तो उससे प्रेरणा लेकर हमें आगे बढ़ना होगा। हमारे पास गौरवशाली तीर्थां की एक लम्बी परम्परा है। स्वधर्म तथा स्वदेश के लिए जो भी बड़ी घटना हुई और जिसने युग परिवर्तन किया, उसे हमने अपने पर्व और त्योहारों के माध्यम से संरक्षित किया है। प्रभु श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या वापस आए। इस उपलक्ष्य में मनायी जाने वाली दीपावली का आयोजन केवल अयोध्या तक सीमित नहीं था, बल्कि अखिल भारतीय स्तर पर पूरा देश दीपावली के आयोजन से जुड़ा। होली का आयोजन हिरण्यकश्यप के मारे जाने से जुड़ा है, लेकिन यह वहीं तक सीमित नहीं रही, बल्कि सामाजिक समता का एक पर्व बन गया। होली पूरे भारत में खेली जाती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी प्रकार रामनवमी, जन्माष्टमी, शिवरात्रि तथा रक्षाबन्धन जैसे सभी पर्व और त्योहारों ने युग की धारा को बदला है। हमारे पूर्वजों ने इन्हें पर्व और त्योहार के रूप में आने वाली पीढ़ी के लिए संरक्षित किया है। आज हम इन आयोजनों से जुड़ते हैं, लेकिन यह हमारे धार्मिक आयोजन मात्र बन गए हैं। समाज को तोड़ने वाले तो बहुत सारे लोग हैं, आवश्यकता ऐसे लोगों की है जो समाज को जोड़ने का प्रयास करें। इसकी जिम्मेदारी हमारे शिक्षण संस्थानों को उठानी पड़ेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब वर्ष 1889 में कॉल्विन तालुकदार्स कॉलेज की स्थापना हुई होगी, तब क्या स्थितियां रही होंगी। यह वही कालखण्ड था, जब वन्दे मातरम् के बारे में लोगों के मन में एक उत्सुकता थी। सन् 1857 के प्रथम स्वातंत्र्य समर के बाद देश की सुप्त चेतना को जागरूक करने के लिए श्री बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने अपने उपन्यास आनन्द मठ के माध्यम से ‘वन्दे मातरम्’ के रूप में एक कालजयी रचना की। वर्ष 1896 में पहली बार गुरुदेव रबीन्द्र नाथ टैगोर ने उस समय देश की आजादी के लिए सबसे बड़े मंच के रूप में कार्य कर रही कांग्रेस के मंच से ‘वन्दे मातरम्’ को अपना स्वर दिया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘वन्दे मातरम्’ आजादी के आन्दोलन का मंत्र बन गया था। हर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा हर क्रांतिकारी के मुंह से ‘वन्दे मातरम्’ ही निकलता था। जिस किसान और नौजवान पर विदेशी हुकूमत की लाठी बरसती थी, उसके मुंह से भी ‘वन्दे मातरम्’ निकलता था। ‘वन्दे मातरम्’ का यह भाव जब भारत के प्रत्येक नागरिक के मुंह से निकलना प्रारम्भ हुआ, तब देश अधिक दिनों तक गुलाम नहीं रह पाया और भारत स्वतंत्र हो गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हर व्यक्ति के जीवन में अवसर आता है। उस अवसर को अपने अनुरूप बदलने की ताकत पैदा करने के लिए हमें तैयार होना होगा। सभी विद्यार्थी जितना परिश्रम कर सकते हों, उन्हें उतना परिश्रम करना चाहिए। आपके सामने शानदार मैदान है। विद्यार्थियों को नियमित रूप से अपने पाठ्यक्रम के साथ-साथ स्पोर्ट्स की किसी ना किसी एक्टिविटी के साथ जरूर जुड़ना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यदि हमें जीवन में आगे बढ़ना है, तो अनुशासित रहना सीखना होगा। अनुशासन और परिश्रम का दूसरा कोई विकल्प नहीं हो सकता है। जो अनुशासित और परिश्रमी है, उसके लिए दुनिया की कोई भी मंजिल कठिन नहीं होती है। सब कुछ बहुत आसान हो जाता है। हर छात्र को इस अनुशासन को अपने जीवन का ध्येय बनाना चाहिए। हमें सूर्यादय के पहले जागना चाहिए तथा स्नान कर लेना चाहिए। इससे हम स्वस्थ रहेंगे। समय पर जागना और समय पर सोना बीमारी से बचने का मंत्र है। नियमित और संयमित दिनचर्या का पालन करना चाहिए। जीवन में अनुशासन और परिश्रम व्यक्ति को कभी कमजोर नहीं करता, बल्कि उसे एक नई मंजिल की ओर अग्रसर करता है और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विगत 11 वर्षों में देश में खेलकूद की प्रतियोगिताओं को नई ऊंचाई मिली है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने खेलो इण्डिया, फिट इण्डिया मूवमेण्ट तथा सांसद खेलकूद प्रतियोगिताओं के माध्यम से इस कार्यक्रम को देश के कोने-कोने तक पहुंचाया है। जब भी भारत की कोई टीम ओलम्पिक, कॉमनवेल्थ या वर्ल्ड कप चैंपियनशिप में विजय होकर आती है, तो प्रधानमंत्री जी स्वयं उनके साथ संवाद करते हैं और उन्हें प्रोत्साहित करते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार भी खेल एवं खिलाड़ियों के प्रोत्साहन की दिशा में प्रयास कर रही है। हर गांव में खेल के मैदान बनाये जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी विद्यार्थियों को कोई न कोई खेल अवश्य खेलना चाहिए। नकारात्मकता को अपने जीवन में नहीं आने देना चाहिए। ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए, जो एक दूसरे के विरुद्ध बातें करके उन्हें लड़ाते हैं। हर दिन यह प्रयास होना चाहिए कि अपने टारगेट भी ज्यादा अचीव करें। तब आपके लिए कोई भी चुनौती बाधा नहीं बन सकती। अतिरिक्त मेहनत करने की आदत डालनी होगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि खेलकूद में रुचि हो। सभी विद्यार्थी नियमित रूप से समाचार पत्रों का अध्ययन करें। सोशल मीडिया और स्मार्टफोन से दूरी बना कर रखें। प्रयास होना चाहिए कि आधे घण्टे से अधिक सोशल मीडिया के लिए समय नहीं देंगे। डिजिटल लाइब्रेरी, किसी इनोवेशन, रिसर्च या दुनिया में हुए किसी नए कार्य की जानकारी आपके पास होनी चाहिए। भाषा के सुधार के लिए समाचार पत्रों तथा अच्छी पत्र-पत्रिकाओं का अध्ययन करना चाहिए। प्रधानमंत्री जी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में यह व्यवस्था दी है कि अब विद्यार्थी एक समय में दो डिग्रियां ले सकते हैं। स्किल डेवलपमेंट का कार्यक्रम साथ-साथ चल सकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि केन्द्रीय मंत्री श्री कीर्तिवर्धन सिंह लगातार कई बार से गोण्डा लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वर्तमान में वह कॉल्विन तालुकदार्स कॉलेज की प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष हैं। उनके द्वारा किये गये कार्यां से विद्यालय में बहुत परिवर्तन हुए हैं। सभी विद्यार्थी भी इस परिवर्तन के वाहक बने। जीवन में कभी हिम्मत नहीं हारें। जीवन में चुनौतियां आएंगी, लेकिन जब धैर्य के साथ उस चुनौती का मुकाबला करेंगे, तो जीत अवश्य होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छोटी-छोटी बातों में हमें धैर्य और हिम्मत नहीं खोना चाहिए। इसे जीवन का हिस्सा मानना चाहिए। जीत उसी को मिलती है, जो हारना जानता है। हार से कभी भी पलायन नहीं करना है। स्वयं में सुधार करना है और आगे बढ़ना है। यह सुधार हमें आगे बढ़ने के लिए एक नया मंच देगा। वर्तमान में समाज में अनेक परिवर्तन हो रहे हैं। आज के तकनीकी युग में हम अपने आपको इससे दूर नहीं कर सकते। हमें नई तकनीक अपनानी है, लेकिन हम तकनीक का वाहक बनें, तकनीक हमें अपने वाहक के रूप में उपयोग न करे। हम तकनीक का इस्तेमाल अपने अनुरूप स्वयं के, समाज और देश के हित में करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आर्टिफिशियल इन्टेलिजेंस, इन्टरनेट ऑफ थिंग्स तथा चैट जी0पी0टी0 जैसी सेवाएं दुनिया को एक नए युग में ले जा रही है। इसने दुनिया को बहुत फास्ट किया है। पहले जिस कार्य को करने में घण्टों लगते थे, अब वह कुछ ही समय में हो जाता है। हमें स्वयं को इस गति के साथ चलने के लिए तैयार करना होगा तथा अपने को अपडेट करना होगा। ड्रोन टेक्नोलॉजी तथा रोबोटिक्स के क्षेत्र में हो रहे कार्यां का अध्ययन करें, लेकिन वहीं तक सीमित न रहें। अवकाश के दिनों में अपने पौराणिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से जुड़े ग्रंथों का भी अवलोकन करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नियमित रूप से अपनी लाइब्रेरी में जाएं, समाचार पत्रों का गहन अवलोकन करें। यह हमारी नियमित दिनचर्या का हिस्सा होनी चाहिए। जो भी अच्छी जानकारी ले सकते हों, उसे लेने और सीखने का जज्बा हमारे मन में होना चाहिए। दुनिया बहुत विशाल है। हमारे पास सीखने के अनेक अवसर हैं। हम उसके अनुरूप अपने आप को तैयार करें। कॉल्विन तालुकदार्स कॉलेज लगातार इस दिशा में प्रयास कर रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने पुरस्कार प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि जो विद्यार्थी पुरस्कार प्राप्त नहीं कर पाए हैं, वह नए सिरे से प्रयास करें, तो अवश्य सफल होंगे। आज उन्हें कॉल्विन तालुकदार्स कॉलेज के विद्यार्थियों द्वारा किये गये मार्च पास्ट एवं यहां के अलग-अलग हाउसेज से जुड़े छात्रों द्वारा बनाए गये पिरामिड ड्रिल को देखने का अवसर प्राप्त हुआ है। यह एक अच्छा प्रयास है। मार्च पास्ट में विद्यार्थियों का अनुशासन और कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ने का जज्बा देश की आजादी के लिए नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के आह्वान पर भारत के नौजवानों द्वारा अपनी मातृभूमि के लिए स्वयं को समर्पित करने के जज्बे की याद दिला रहा था।
केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन तथा विदेश राज्य मंत्री श्री कीर्तिवर्धन सिंह ने भी समारोह को सम्बोधित किया।
इस अवसर पर कॉल्विन तालुकदार्स कॉलेज के शिक्षकगण, विद्यार्थी तथा अभिभावक उपस्थित थे।

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