लखनऊ। राजधानी लखनऊ में एक कारोबारी को डिजिटल अरेस्ट कर उससे 1.18 करोड़ रुपये की ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। पुलिस ने इस साइबर ठगी में शामिल एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने खुद को पुलिस और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) अधिकारी बताकर कारोबारी को इतना डरा दिया कि उसने अपनी पूरी जमा-पूंजी ठगों के खातों में ट्रांसफर कर दी।
साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन की टीम ने इस मामले में सैफलपुर मलिहाबाद निवासी कमलेश कुमार को गिरफ्तार किया है। कमलेश पहले मिठाई बनाकर घरों में सप्लाई करता था। करीब दो महीने पहले उसकी मुलाकात एक व्यक्ति से हुई, जिसने ज्यादा कमीशन पर नया काम दिलाने का लालच देकर उसे ठगी के नेटवर्क में शामिल कर लिया।
घटना 22 सितंबर 2025 की है। लखनऊ के कारोबारी होरक भट्टाचार्य को एक फोन कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को पुलिस अधिकारी विजय खन्ना बताते हुए कहा कि उनके नाम से दिल्ली केनरा बैंक में एक फर्जी खाता खोला गया है, जिसमें ठगी का पैसा जमा किया जा रहा है। थोड़ी देर बाद एक और कॉल आया — इस बार कॉल करने वाला खुद को ईडी अधिकारी राहुल गुप्ता बता रहा था।राहुल ने कारोबारी को डराते हुए कहा कि मामला गंभीर है, इसलिए जांच में सहयोग करें और किसी से बात न करें। इसके बाद पीड़ित को डिजिटल अरेस्ट कर लिया गया। ठगों ने व्हाट्सऐप कॉल और चैट के ज़रिए लगातार दबाव बनाया और जांच का हवाला देते हुए कारोबारी से 1 करोड़ 18 लाख 55 हजार रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करा लिए।
ठगों ने पीड़ित का भरोसा जीतने के लिए फर्जी गिरफ्तारी वारंट और कोर्ट के सीजर आदेश भी भेजे। भय और भ्रम के माहौल में पीड़ित ने बिना किसी जांच के पूरी रकम भेज दी।
पुलिस ने जांच के बाद आरोपी कमलेश कुमार को गिरफ्तार किया। पूछताछ में उसने बताया कि अगस्त महीने में सीतापुर निवासी अनुराग नाम के व्यक्ति से मुलाकात हुई थी, जिसने उससे कहा कि यदि वह अपने नाम से बैंक खाता और सिम कार्ड देगा तो उसे लेनदेन पर 2% कमीशन मिलेगा। कमीशन के लालच में कमलेश ने गोमतीनगर, पत्रकारपुरम स्थित इंडसइंड बैंक में खाता खुलवाया और सभी दस्तावेज अनुराग को सौंप दिए।पुलिस जांच में सामने आया कि अनुराग विदेश में बैठे साइबर ठगों से जुड़ा था, जो पूरे ट्रांजैक्शन पर 5% कमीशन USDT (क्रिप्टो करेंसी) में लेता था। कमलेश के खाते में करोड़ों रुपये के ठगी के लेनदेन हुए हैं। NCCRP पोर्टल की जांच में पूरे देश से 22 शिकायतें इसी खाते से जुड़ी मिलीं।
साइबर सेल के अनुसार, अपराधी फर्जी पुलिस या ईडी अधिकारी बनकर लोगों को डराते हैं कि उनके नाम पर अपराध हुआ है। फिर उन्हें वीडियो कॉल पर डिजिटल हाउस अरेस्ट में रखकर, फर्जी जांच कक्ष या थाने जैसा माहौल दिखाकर बड़ी रकम वसूल लेते हैं। पुलिस अब नेटवर्क के अन्य सदस्यों की तलाश में जुटी है।

