लखनऊ। पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी समुदायों के अल्पसंख्यकों को एकजुट होने का आवाहन किया है। उन्होंने कहा कि सभी अल्पसंख्यकों को एक मंच पर आकर अपने अधिकारों के लिए खुद संघर्ष करना होगा, क्योंकि वर्तमान सरकारें उनके हितों की अनदेखी कर रही हैं।
अनीस मंसूरी ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने एक विशेष जाति के लोगों को लाभ पहुंचाने के अलावा अन्य अल्पसंख्यक वर्गों के लिए कोई ठोस कार्य नहीं किया है। उन्होंने कहा कि बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने संविधान में सभी धर्मों के अल्पसंख्यकों को विशेष अधिकार दिए थे ताकि वे सामाजिक और आर्थिक न्याय प्राप्त कर सकें। लेकिन आज हालात यह हैं कि केंद्र और राज्य सरकारें संविधान की अनदेखी कर मनमाने तरीके से शासन चला रही हैं।
पसमांदा मुसलमान सबसे अधिक उपेक्षित
अनीस मंसूरी ने कहा कि देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय, मुसलमानों में 80 प्रतिशत आबादी पसमांदा बिरादरी की है, लेकिन यह समाज आज भी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से सबसे अधिक पिछड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले तीन वर्षों में कई मंचों से स्वीकार किया है कि पसमांदा मुसलमानों की स्थिति दयनीय है।
हालांकि, उन्होंने अफसोस जताया कि प्रधानमंत्री द्वारा बार-बार यह बात कहे जाने के बावजूद पसमांदा समाज के उत्थान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। मंसूरी ने कहा कि पसमांदा समाज के लोग अभी भी सरकारी योजनाओं और सुविधाओं से वंचित हैं, जिससे उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति लगातार बदतर होती जा रही है।
सरकारों पर निशाना
मंसूरी ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार केवल दिखावटी घोषणाएं कर रही हैं, जबकि जमीनी स्तर पर अल्पसंख्यकों के लिए कुछ भी नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों में आने वाले सभी धर्मों – मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी समुदाय – के लोगों को मिलकर संविधान प्रदत्त अधिकारों के लिए संघर्ष करना होगा।
अल्पसंख्यकों के लिए एकजुटता का संदेश
अनीस मंसूरी ने जोर देकर कहा कि अगर सभी अल्पसंख्यक समाज एक मंच पर आकर संगठित संघर्ष करेंगे तो उन्हें उनके अधिकार अवश्य मिलेंगे। उन्होंने कहा कि यह समय है जब पसमांदा मुसलमानों सहित सभी अल्पसंख्यक समुदायों को अपनी आवाज बुलंद करनी होगी और सरकारों की नीतियों का सामना करना होगा।
मांग और सुझाव
- पसमांदा मुसलमानों के लिए विशेष योजनाओं की घोषणा की जाए।
- अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के विकास के लिए ठोस कार्य किए जाएं।
- सरकारें संविधान में प्रदत्त अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान करें और उन्हें जमीनी स्तर पर लागू करें।
- सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए विशेष नीति बनाई जाए।
अनीस मंसूरी ने कहा कि संविधानिक अधिकारों की रक्षा और समाज के उत्थान के लिए सभी अल्पसंख्यकों को एकजुट होकर अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी।