Tuesday, March 11, 2025
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केजीएमयू में सर्जरी की जटिलताओं के प्रबंधन पर सेमिनार का समापन

लखनऊ । केजीएमयू के जनरल सर्जरी विभाग ने आज दूसरे दिन विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अभिनव अरुण सोनकर के मार्गदर्शन में सर्जिकल शिक्षा कार्यक्रम आयोजित किया गया । केजीएमयू और अन्य संस्थानों के विभिन्न प्रतिष्ठित वक्ताओं ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई और छात्रों को अपने ज्ञान और अनुभव से अवगत कराया।

कार्यक्रम की शुरुआत प्लास्टिक सर्जनों के सत्रों से हुई। डॉ. प्रेम शंकर, जीएसवीएम कानपुर ने प्लास्टिक सर्जरी अवधारणाओं पर जानकारीपूर्ण बातचीत की और इसे डॉ. बृजेश मिश्रा ने आगे बढ़ाया, जिन्होंने माइक्रोवैस्कुलर सर्जरी तकनीकों में प्रगति पर जोर दिया, जो कटे हुए अंगों को फिर से जोड़ने जैसे बेहतर परिणामों के साथ रोगियों की मदद करेगी। डॉ. विजय कुमार, केजीएमयू ने जलने की चोट के उपचार के बारे में विस्तार से चर्चा की, जो एक बहुत ही गंभीर और आम आघात है। उन्होंने जले हुए रोगियों के समय पर बचाव और उचित उपचार की भूमिका को विस्तार से बताया जो जीवन रक्षक हो सकता है।
गैस्ट्रो सत्र में एसजीपीजीआई के गैस्ट्रोमेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. समीर मोहिंद्रा ने ईआरसीपी प्रक्रिया, इसकी उपयोगिता और इसे सुरक्षित तरीके से करने के बारे में बात की। एसजीपीजीआई के गैस्ट्रोसर्जन डॉ. आशीष सिंह ने पित्त नली के कैंसर और इसके विभिन्न उपचार विकल्पों पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी। एसजीपीजीआई के गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के डॉ. राहुल ने पेट और यकृत रोगों से होने वाले रक्तस्राव के बारे में चर्चा की और इस तथ्य पर जोर दिया कि शराब और अन्य व्यसनों से ऐसी बीमारियां हो सकती हैं और इसलिए आम लोगों में जागरूकता जरूरी है। केजीएमयू के लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. फराज अहमद ने पित्ताशय की थैली की सर्जरी की जटिलताओं के प्रबंधन पर विस्तार से चर्चा की। केजीएमयू के सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रो. अभिनव अरुण सोनकर ने पित्ताशय की थैली के कैंसर पर चर्चा की और इस बात पर जोर दिया कि सर्जरी इन बीमारियों के लिए एक सुरक्षित और मानक उपचार है और समय पर निदान और उपचार जीवन को बचाने और आगे की जटिलताओं को रोकने में मदद करता है। डॉ. शिव राजन ने कहा कि एसोफैजियल कैंसर शराब और तंबाकू के सेवन से होता है और इसके लक्षणों में वजन कम होने के साथ निगलने में कठिनाई शामिल है, इसलिए रोकथाम और इलाज के लिए जागरूकता बहुत जरूरी है। जीएसवीएम कानपुर के डॉ. आरके जौहरी और डॉ. जीडी यादव ने मल में रक्तस्राव और पेट की टीबी पर बात की, जो हमारे क्षेत्र में बहुत आम बीमारियां हैं। डॉ. जीडी यादव ने कहा कि पेट की टीबी की रोकथाम संभव है और इस बीमारी को ठीक करने के लिए एंटी-ट्यूबरकुलर दवाएं जरूरी हैं। ऐसे मरीजों में जब भी सर्जरी की जरूरत होती है, तो यह जरूरी है। रेडियोडायग्नोसिस विभाग के प्रमुख डॉ. अनितापरिहार ने पीजी छात्रों को सीटी स्कैन की मूल बातें सिखाईं। कार्यक्रम का संचालन डॉ. पंकज सिंह और डॉ. अमित कार्णिक ने किया और अंत में वैस्कुलर सर्जन प्रो. अंबरीश कुमार और डॉ. अमित चौधरी और प्लास्टिक सर्जन डॉ. रवि कुमार ने सर्जिकल कौशल और टेंडन और वैस्कुलर रिपेयर पर लाइव वर्कशॉप के साथ इसका समापन किया। सह-आयोजन सचिव डॉ. अक्षय आनंद ने बताया कि ये कार्यशालाएं सम्मेलन में भाग लेने वाले कई मेडिकल कॉलेजों के उभरते सर्जनों को सर्जरी की बारीकियों को सीखने और छात्रों को अपने व्यावहारिक ज्ञान को बढ़ाने में बहुत मददगार साबित होंगी।

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