लखनऊ। पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने अपने कार्यालय में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में कहा कि हमीरपुर जिले के राठ तहसील के छोटे से कस्बे में रहने वाले याक़ूब मंसूरी आज पूरे देश के लिए बहादुरी और इंसानियत की मिसाल बन गए हैं।
याकूब मंसूरी की जुड़वा बच्चियों की मौत हो गई, 10 लाख की आर्थिक मदद
हाल ही में झांसी मेडिकल कॉलेज में हुए भीषण अग्निकांड ने न केवल उनके परिवार को बल्कि पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया। इस घटना में याक़ूब ने अपनी दो जुड़वां बेटियों को खो दिया, लेकिन उनकी दिलेरी ने दर्जनों मासूम बच्चों की जान बचा ली।
अनीस मंसूरी ने कहा कि पसमांदा मुस्लिम समाज के नौजवान याकूब ने दर्द के बीच साहस का प्रदर्शन किया है। आग लगने की घटना में जहां लोग अपनी जान बचाने में लगे थे, वहीं याक़ूब मंसूरी ने अपने दर्द को किनारे रखते हुए उन बच्चों की मदद की जो आग की चपेट में फंसे थे। अपनी बेटियों को खोने के बावजूद, याक़ूब ने बिना किसी भेदभाव के बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला।
अनीस मंसूरी ने कहा कि याक़ूब मंसूरी की इस घटना ने साबित कर दिया कि इंसानियत हर चीज से ऊपर है। उनकी दिलेरी न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए गर्व की बात है। उन्होंने जिस तरह अपने निजी दर्द को दरकिनार करते हुए दर्जनों मासूमों की जान बचाई, वह अपने आप में प्रेरणादायक है।
उन्होंने कहा कि यह कहानी हमें सिखाती है कि इंसानियत, भाईचारा और साहस किसी भी विपरीत परिस्थिति में हमें मजबूत बनाते हैं। याक़ूब मंसूरी जैसे लोगों की वजह से ही समाज में अच्छाई की लौ जलती रहती है। उनका यह साहस आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनकर हमेशा याद रखा जाएगा।
इलियास मंसूरी, जो पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनीस मंसूरी के प्रतिनिधि बनकर याक़ूब से मिलने गए थे, ने इस घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “याक़ूब मंसूरी की बहादुरी और इंसानियत की भावना पर पूरे समाज को गर्व है। उनकी यह कार्रवाई एकता और सौहार्द का प्रतीक है। उनके साहस ने न केवल मंसूरी समाज बल्कि पूरे पसमांदा मुस्लिम समाज का नाम रौशन किया है।”
प्रतिनिधि मंडल ने याक़ूब मंसूरी के आवास पर पहुंचकर उनके परिवार से मुलाकात की और उनका हालचाल जाना। याक़ूब के पिता छिद्दू मंसूरी और उनके भाइयों से घटना की विस्तृत जानकारी लेते हुए सभी ने परिवार को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया।
इलियास मंसूरी ने बताया कि याक़ूब की बहादुरी को समाज के हर व्यक्ति तक पहुंचाया जाएगा ताकि लोग उनकी इंसानियत और साहस से प्रेरणा ले सकें। उन्होंने कहा, “यह घटना न केवल मंसूरी समाज के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह संदेश देती है कि आपसी भाईचारे और मानवता की भावना हमें हर मुश्किल घड़ी में साथ रखती है।”
इस अवसर पर ऑल इंडिया मंसूरी समाज और पसमांदा मुस्लिम समाज के कई प्रमुख लोग उपस्थित थे। प्रतिनिधि मंडल में शामिल जिला महासचिव मुन्ना खां मंसूरी, हाजी सुल्तान मंसूरी, मास्टर अब्दुर रहमान मंसूरी और अन्य सदस्यों ने याक़ूब के साहस को सराहा।
यूपी के झांसी मेडिकल कॉलेज में सात बच्चों की बचाने वाला याकूब मंसूरी
उत्तर प्रदेश के झांसी मेडिकल कॉलेज अग्निकांड में सात नवजात बच्चों की जान बचाने वाले हमीरपुर का एक शख्स अपनी जुड़वा बच्चियों को मौत के मुंह से नहीं बचा पाया। पीड़ित के जुड़वा बच्चे अग्निकांड में जिंदा जल गए। हादसे में अपनी जुड़वा बच्चियां गवांने वाले याकूब मंसूरी का परिवार बदहवाश है।हमीरपुर जिले के राठ कस्बे के सिकन्दरपुरा मुहाल निवासी याकूब ठेला लगाकर अपने परिवार का भरण पोषण करता है। इसने अपनी पत्नी नजमा को डिलीवरी कराने के लिए झांसी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया था। 9 नवंबर को नजमा ने जुड़वा बच्चियों को जन्म दिया था। सांस लेने में दिक्कत होने पर जुड़वा बच्चियों को झांसी मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया था। इलाज होने से बच्चियां स्वस्थ हो गई थी, तभी वार्ड में अचानक आग लग गई, जिससे अफरातफरी मच गई।
आग और धुआं देखकर याकूब ने बिना समय गंवाए अपनी मां विल्किस और साले सोनू के साथ एसएनसीयू वार्ड की खिड़की तोड़ी और अंदर घुसकर एक-एक कर सात नवजात बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला। जान हथेली में लिए याकूब आग की लपटों के बीच अपनी जुड़वा बच्चियों की परवाह भी नहीं की। सात बच्चों की जान बचाने के बाद जब याकूब और उसकी मां अपनी जुड़वा बच्चियों की रात भर तलाश की, लेकिन बच्चियां नहीं मिली। अगले दिन शवों की शिनाख्त हुई तब उसे पता चला कि उसकी जुड़वा बच्चियां दुनियां में नहीं रही।
10 लाख की आर्थिक मदद दी
झांसी मेडिकल कॉलेज में हुए हादसे में जुड़वा बच्चियों की मौत को लेकर एसडीएम अभिमन्यु, नगर पालिका अध्यक्ष श्रीनिवास बुधौलियां और विधायक प्रतिनिधि भरत अनुरागी ने याकूब को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता की चेक देकर उन्हें सांत्वना दी।