Monday, July 14, 2025
Homeउत्तर प्रदेशअखिलेश यादव उत्तराखण्ड के हर सुख-दुःख में साथ

अखिलेश यादव उत्तराखण्ड के हर सुख-दुःख में साथ

उत्तर प्रदेश से अलग उत्तराखण्ड राज्य बनने के बावजूद भी दोनों राज्यों के बीच भावनात्मक रिश्ता अटूट है। यह रिश्ता हमेशा बना भी रहेगा।  उत्तराखण्ड   राज्य जब बना तब विकास और समृद्धि के सपने देखे गये थे। भाजपा-कांग्रेस ने सत्ता  का दुरुपयोग कर उन्हें चकनाचूर कर दिया। प्राकृतिक संपदा से समृद्ध प्रदेश आज विकास विरोधी नीतियों के चलते प्राकृतिक प्रकोप से कराह रहा है।
    उत्तराखण्ड में पहाड़ कमजोर होने से जब तब आपदाएं आती रहती हैं। पहाड़ की संवेदनशीलता की उपेक्षा कर विकास के नाम पर खिलवाड़ के गंभीर परिणाम सामने आते हैं। फिर भी उनकी अनदेखी की जाती है।  
     उत्तराखण्ड की सभी सरकारें आपदाओं से निपटने में असफल क्यों रहती है? वैसे हर आपदा के वक्त उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव  उत्तराखण्ड  में मदद का हाथ बंटाने में आगे रहे है। अखिलेश जी  उत्तराखण्डवासियों के हर सुख-दुःख में साथी हैं।
    अभी पिछले दिनों चमोली में बीआरओ के कैंप पर ग्लेशियर टूटने से वहां मौजूद मजदूर फंस गए। कुछ की दर्दनाक मौते हो गई। कई अन्य घायल हुए। समाजवादी पार्टी ने मृतक परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और उन्हें पर्याप्त मुआवजा दिए जाने की भी मांग की।
    सात फरवरी 2021 को तपोवन बैराज में एनटीपीसी के 150 से अधिक मजदूरों द्वारा कार्य किया जा रहा था, अचानक एक ग्लेशियर टूटा। एनटीपीसी के कार्यरत मजदूर मलबे में फंस गये। तभी एक ग्रामीण महिला श्रीमती मांगेश्री डांक गांव निवासिनी ने ग्लेशियर टूटने की सूचना दी, क्योंकि उसका बेटा विपुल भी उसमें फंसा था। श्रीमती मांगेश्री की सूझबूझ से 40 मजदूरों की जान बची थी। श्री अखिलेश यादव की ओर से श्रीमती मांगेश्री को तात्कालिक समझ और साहसपूर्ण कार्य के लिए 5 लाख रुपये से सम्मानित किया गया था। श्रीमती मांगेश्री का डांक गांव बद्रीनाथ विधानसभा क्षेत्र की रैनी गांव के निकट है जो श्रीमती गौरा देवी के नेतृत्व में चिपको आंदोलन के लिए विख्यात रहा है। श्री अखिलेश यादव ने मातृशक्ति का इस तरह वंदन किया था। सन् 1974 में जंगलों में कटान रोकने के लिए गौरा देवी के साथ महिलाएं पेड़ों से चिपक गई थी। ठेकेदारों को वापस जाना पड़ा। देवभूमि में नशे के व्यापक प्रसार के चलते जीवन अव्यवस्थित होने के कारण उत्तराखण्ड में नशे के खिलाफ 1960 के बाद गढ़वाल, कुमायूं क्षेत्र में महिलाएं लामबंद हुई थी। इसमें गांधी जी की विदेशी शिष्या सरला बहन की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी। इन आंदोलनों से पर्यावरण के प्रति व्यापक जनजागरूकता का प्रसार हुआ था।
    एक वर्ष पूर्व भी उत्तर प्रदेश और दिल्ली के रेट माइनर्स ने सुरंग में फंसे लोगों की जान बचाई थी। तब भी समाजवादी पार्टी की ओर से श्री अखिलेश यादव ने उन माइनर्स को समाजवादी पार्टी के राज्य मुख्यालय, लखनऊ में सम्मानित किया था। सन 2013 में जब केदारनाथ में भयंकर तबाही हुई थी तब भी उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार और तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की ओर से आर्थिक सहायता के साथ बसों से लोगों को निकालने की व्यवस्था की गई थी। समाजवादी पार्टी के नेताओं, कार्यकर्ताओं की टीम ने राहत कार्यों में मदद की थी। सहारनपुर के डीएम को भी मदद के लिए लगाया गया था।
    समाजवादी पार्टी ने मांग की है उत्तराखण्ड में जितनी भी परियोजनाएं चल रही है उनकी एनवायरमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट की रिपोर्ट को गंभीरता से स्टडी करके ही प्रारम्भ करे। उत्तराखण्ड के विकास और पर्यावरणीय सुरक्षा के प्रति भाजपा सरकार गंभीरता से काम क्यों नहीं करती है? भाजपा की कथित विकास नीतियां विनाशपरक हैं और पूंजीघरानों की पोषक हैं।
     उत्तराखण्ड में आज भी किसान, गरीब, नौजवान, व्यापारी, महिलाएं सभी परेशानी में जिंदगी बसर कर रहे हैं। सरकारी विभागों में लूट खसोट बड़े पैमाने पर जारी है। पर्वतीय क्षेत्र में रोजगार के अवसर सृजित नहीं हुए। वहां पर्याप्त कुटीर उद्योग तक नहीं लगा। सेना भर्ती में भी नौजवानों की रुचि चार साला अग्निवीर योजना के चलते नहीं रही है। भूमि सुधार की दशा में भी कुछ नहीं हुआ। वन भूमि, नजूल भूमि में बसे परिवारों की दशा दयनीय है। गांवों से पलायन हो रहा है।
     उत्तराखण्ड में डबल इंजन सरकार का कोई फायदा नहीं है। नदियां प्रदूषित है। पर्यावरण संरक्षण एवं वन्य जीव संरक्षण की दिशा में कोई प्रयास नहीं हो रहे है। पर्यटन उद्योग में बहुत संभावनाएं हैं परन्तु कोई सुनियोजित योजना नहीं है। महिलाओं का उत्पीड़न चरम पर है। जनता को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखना उत्तराखण्ड सरकार की विफलता है।
    भाजपा वस्तुतः विकास का सही अर्थ अभी तक क्यों नहीं समझ सकी है? उत्तराखण्ड देवभूमि है। केदारनाथ-बद्रीनाथ, गंगोत्री-यमुनोत्री चार धाम जैसे अनेकों श्रद्धा के स्थल हैं। वहां परम्परा की प्रतिष्ठा के साथ प्रगति हो यह जरूरी है पर प्रगति में मानवीय संवेदनाओं के साथ पर्वतीय अस्मिता की रक्षा प्रमुखता से होनी चाहिए। भाजपा का विकास लूट और झूठ का पर्याय है।  उत्तराखण्ड उसका ही शिकार बन गया है।
        (प्रस्तुतिः राजेन्द्र चौधरी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और पूर्व कैबिनेट मंत्री हैं)              

स्पेशल स्टोरीज