पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 का सियासी घमासान तेज हो चुका है। महागठबंधन की तरफ से तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किए जाने के बाद अब नया विवाद यह है कि मुस्लिम समाज और कांग्रेस को उपमुख्यमंत्री पद पर क्या प्रतिनिधित्व मिलेगा। महागठबंधन के अंदर ही अब यह चर्चा जोर पकड़ चुकी है कि गठबंधन में उपमुख्यमंत्री पदों की संख्या बढ़ाई जाए और उन पदों पर धर्म और समुदाय के आधार पर संतुलन बनाया जाए।
सूत्रों के अनुसार, आरजेडी और कांग्रेस के अंदर इस मुद्दे पर मंथन जारी है। यह लगभग तय माना जा रहा है कि महागठबंधन एक मुस्लिम चेहरे को भी उपमुख्यमंत्री बनाएगा। इसकी औपचारिक घोषणा 28 अक्तूबर तक होने की संभावना बताई जा रही है। इस फैसले के पीछे साफ रणनीति है कि विपक्ष एनडीए के उस सवाल को शांत करना चाहता है, जिसमें पूछा जा रहा है कि मुस्लिम समुदाय का राजनीतिक प्रतिनिधित्व कौन करेगा।
महागठबंधन के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि गठबंधन व्यापक सामाजिक संतुलन की नीति पर चल रहा है। तेजस्वी यादव यादव-ओबीसी चेहरे के रूप में, मुकेश सहनी निषाद समाज के प्रतिनिधित्व के रूप में सामने आए हैं। अब बारी अल्पसंख्यक समाज और कांग्रेस की है। गठबंधन का मानना है कि सरकार बनी तो केवल 1 या 2 नहीं, बल्कि 3 से 4 उपमुख्यमंत्री भी बनाए जा सकते हैं, जिसमें एक कांग्रेस से होगा और एक मुस्लिम चेहरा भी शामिल होगा। हालांकि नाम को लेकर अभी कोई खुलासा नहीं किया गया है।
कांग्रेस ने भी स्पष्ट कर दिया है कि यदि महागठबंधन की सरकार बनती है, तो उसे उपमुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी मिलेगी। पार्टी का दावा है कि वह महागठबंधन की दूसरी सबसे बड़ी घटक दल है, इसलिए उसका भी सत्ता संरचना में अहम किरदार होना स्वाभाविक है। कांग्रेस के अंदर भी कई नामों पर चर्चा चल रही है, लेकिन निर्णय चुनाव परिणामों और सीटों के आंकड़ों के अनुसार बाद में तय किया जाएगा।
महागठबंधन की रणनीति यह है कि विभिन्न जातीय और धार्मिक समुदायों को संतुलित प्रतिनिधित्व देकर चुनाव में अधिकतम सामाजिक समर्थन जुटाया जाए। वहीं एनडीए इस मुद्दे पर महागठबंधन पर सवाल खड़ा कर रहा है कि अंदरूनी समझौता अभी तक स्पष्ट नहीं है, ऐसे में नेतृत्व कैसे स्थिर होगा।
बहरहाल, सभी की निगाहें 28 अक्तूबर की संभावित घोषणा पर टिकी हैं, जब महागठबंधन मुस्लिम डिप्टी सीएम के नाम और हिस्सेदारी पर आधिकारिक घोषणा कर सकता है। चुनावी मौसम में यह फैसला राज्य की सियासत को नई दिशा देगा।
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