इस बार बृहस्पतिवार को प्रदोष व्यापिनी अमावस्या के विशेष मुहूर्त में दिवाली पर सुख-समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी की पूजा होगी।
पक्ष पंद्रह दिन का है, जो कि मंगलकारी है। इस पक्ष में सप्तमी तिथि का क्षय हो गया है। नवमी तिथि की वृद्धि हो गई है। प्रदोष काल एवं रात्रि में अमावस्या तिथि मिलने के कारण दीपावली का परम पवित्र पर्व 31 अक्तूबर बृहस्पतिवार को सर्वत्र हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा।
मध्याह्न 03.11 मिनट पर अमावस्या तिथि लग जाएगी, जो प्रदोष व्यापिनी अमावस्या कहलाएगी। बृहस्पतिवार को दीपावली का प्रसिद्ध पर्व मनाया जाएगा। इसी दिन गणेश, लक्ष्मी, कुबेर, हनुमान का पूजन विधि पूर्वक किया जाएगा।
इसलिए नरक चतुर्दशी और हनुमान जयंती 30 अक्तूबर बुधवार को मनाई जाएगी। दूसरे दिन दीपावली को प्रातःकाल तक हनुमान जी का दर्शन अवश्य कर लेना चाहिए।
लक्ष्मी पूजन के लिए तीन मुहूर्त निर्धारित
वाणिज्यिक प्रतिष्ठान में गणेश-लक्ष्मी पूजन करने का शुभ मुहूर्त
व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए दिन में स्थिर कुंभ लग्न 1:33 से 3:04 बजे के मध्य होगा।
प्रदोषकाल का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त वृष स्थिर लग्न शाम 06:11 से 08:15 बजे के मध्य तक।
श्रेष्ठ महानिशा में स्थिर सिंह लग्न 12:39 से 02:53 बजे के मध्य तक महानिशा में विशेष लक्ष्मी पूजन किया जाएगा। तंत्र जगत के मंत्र सिद्धि के लिए विशेष पूजन होगा। शिशुओं के नेत्रों में लगने के लिए काजल बनाना चाहिए।
स्नान-दान अमावस्या एक नवंबर शुक्रवार को होगी।
विशेष पूजन सामग्री
कंज, मजीठ, कमल गट्टा, खड़ी धनिया, खील (लावा) गुड़, भुर्की, दूब, कौड़ी, चांदी सिक्का, गणेश, लक्ष्मी, कुबेर, हनुमान मूर्ति, पीला कपड़ा, लाल कपड़ा, रोली, चंदन, सिंदूर, चावल, वस्त्र मूर्ति, माला, फूल, लौग इलाइची, पान, सुपाड़ी, फल मीठा, अनार, फल सरीफा फल, कमल फूल, गुड़ धनिया का भोग अवश्य लगाएं। लक्ष्मी, कुबेर आदि इष्ट देव का मंत्र जप करें। लक्ष्मी सूक्त या श्री सूक्त का पाठ करें। मंत्र में कमल माला का प्रयोग करें, चौकी पर पीला वस्त्र लपेट कर मूर्तियों को स्थापित कर विधिवत पूजन किया जाएगा।