झारखंड चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन दोबारा सरकार बनाने जा रहे हैं। 23 नवंबर को आए नतीजों में झामुमो गठबंधन यानी I.N.D.I.A. ब्लॉक ने 81 विधानसभा सीटों में से 56 सीटें हासिल कीं।
I.N.D.I.A. ब्लॉक ने बहुमत से 15 सीटें ज्यादा जीतीं। अकेले झामुमो के खाते में 34 सीटें गईं। भाजपा गठबंधन सिर्फ 24 सीटें जीत सका। यानी बहुमत 13 सीटें पीछे रह गया।
हालांकि, झामुमो का वोट शेयर 23.47% है, जबकि भाजपा का वोट शेयर लगभग 10 प्रतिशत ज्यादा 33.20% है।
रिजल्ट के बाद मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि चुनाव में I.N.D.I.A. का परफॉर्मेंस अच्छा रहा। उधर, रांची की सड़कों पर पोस्टर लग रहे हैं कि शेरदिल सोरेन फिर आ गया।
2019 विधानसभा चुनाव में JMM 30, कांग्रेस 16 और राजद ने एक सीट पर जीत दर्ज की थी। तीनों पार्टियों का गठबंधन था। तब मुख्यमंत्री JMM नेता हेमंत सोरेन बने थे। BJP को 25 सीटें मिली थीं।
- मंईयां योजना की रकम बढ़ाई
हेमंत सोरेन ने विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले 14 अक्टूबर को मंईयां सम्मान योजना की राशि 1000 रुपए से बढ़ाकर 2500 रुपए करने का प्रस्ताव पास किया था। यह दांव गेमचेंजर साबित हुआ। भाजपा ने इसके जवाब में गोगो दीदी योजना के तहत हर महीने की 11 तारीख को 2100 रुपए देने का वादा किया था। - किसानों का 400 करोड़ का कर्ज माफ
सीएम हेमंत सोरेन ने सितंबर में राज्य के किसानों का 2 लाख रुपए तक का कर्ज माफ करने का ऐलान किया। इससे झारखंड के 1 लाख 76 हजार 977 किसानों को फायदा होगा। इसके लिए 400.66 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
साथ ही हेमंत सरकार ने राज्य के हर महीने 200 यूनिट तक बिजली खपत करने पर कोई बिजली बिल नहीं लेने का फैसला किया। इसके अलावा अगस्त 2024 तक की बकाया बिल की राशि भी माफ कर दी है। बिजली बिल और किसान की कर्ज माफी के ऐलान से सोरेन को फायदा हुआ।
भाजपा ने चुनाव प्रचार के दौरान बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर ज्यादा फोकस किया। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी रैली में कहा था- ‘एक-एक घुसपैठी को चुनकर बाहर करेंगे। झारखंड में घुसपैठ करने वालों को उल्टा लटकाकर सीधा करेंगे।’
असम सीएम हेमंता बिस्वा शर्मा और बीजेपी के झारखंड चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान पूरे प्रचार के दौरान बांग्लादेशी घुसैपठिए को बाहर करने के मुद्दे को उठाते रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी जनसभाओं में बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को जोर शोर से उठाया था। हालांकि, जनता के बीच यह मुद्दा नहीं चला।